मौन रहेकर भी तुंम बहोत कुछ कहे जाते हो,
शब्दों मे तो वेसेभी बहोत कुछ अधूरा रहे जाता हैं...-
आएगा ऐसा दौर ,जो सबकी पहचान कराएगा ।
तुझे जरूरत पड़ने पर, सबको बेजुबान कर जाएगा ।।-
मौन होकर भी निरंतर मुखर बने रहना!
शब्दों की स्याही कभी कभी सूख भी जाती है,
लेकिन मौन की वाणी सदा गूंजती रहती है।
आँधियों में भी जो शांत खड़ा रहे,
वही पर्वत संदेश सुनाता है।
नहीं शोर मचाना, न वाणी को फैलाना,
बस कर्मों की गूँज से, जग को है जगाना।
जैसे पर्वत शांत, स्थिर, डिगता नहीं कभी,
वैसे ही मौन रहकर, धैर्य का ध्वज लहराना
जैसे फूल खिलते हैं, बिन बखाने अपनी सुंदरता,
शब्द सीमित हैं,और मौन असीमित ,
अनकहे भावों का, अनुगूँज यही तो है।
ध्वनि का शोर नहीं, जहाँ अर्थ हो गहरा ,
मौन मुखर होता है, जब सत्य हो निखरा ।
जैसे गगन में फैले, बादल शांत गंभीर,
फिर भी बरसा देते, जीवन का अमृत नीर।
सुन लेगा जग सारा , तुम्हारा ये असरार,
जब न होगा शब्दो का तकरार।
शब्दों के जाल में, अक्सर सच छुप जाता,
लेकिन मौन की निश्छलता में, सब कुछ दिख जाता।
नहीं बनावटी चेहरा, न दिखावे की हवा,
मौन मुखर व्यक्तित्व, स्वयं ही चमकता।
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क्या कहूँ क्यों कहूँ कैसे कहूं
बस यूं ही चुप रहूँ।
शायद मेरा मौन बोल दे
कुछ राज स्वयं खोल दे
मैंने देखा है मौन बोलते हुए
अपनो के दिल डोलते हुए
मैं सत्य हूँ अटल ही रहूंगा
निरंतर माँ भारती की गोद मे पलूँगा
पर अब मै मौन ही रहूंगा ।
पर अब मैं मौन ही रहूंगा।।
#राज #मौननमन #अमर_अटलजी-