मैं बावरी हूँ
यूँ तुझसे ही उलझती, झगड़ती रहती हूँ
पर सच तो यही है कि
तुम्हारी सोच के आगे मेरी सोच शून्य हो जाती है
मैं तेरे एहसासों में भीगी हुई
बस उनकी नमी में बिखरती, संवरती रहती हूँ
यूँ तुझसे जुदा कुछ तो नहीं
तू हरपल मेरे आसपास ही मौजूद रहता है
तेरी मौजूदगी, तेरा वजूद
एहसास कराते हैं कि
मैं हूँ..❤️
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