हमेशा दोस्त की तरह रहे
मेरी आँखें पढ़ कर समझ जाते
मेरे दुख और तकलीफ़ को,
उनकी आँखें देख कर मैं समझ जाता
उनकी नाराज़गी और ऐतराज़ को,
घुटने में खून से पहले उनके आँसू निकले थे
पहली बार साइकिल से मेरे गिरने पर,
सीने से लगा कर हिम्मत बढ़ाते थे
बोर्ड परीक्षा से मेरे डर जाने पर,
जीवन की हर मुश्किल के सामने खुद खड़े हो जाते,
कितने परेशान क्यों न हो मेरे सामने सदा मुस्कुराते,
कहते थे 'जब तक मैं हूँ तू कभी घबराना नहीं',
आज वो सारे दिन बहुत ही ज़्यादा याद हैं आते,
वो सारी दुनिया थे मेरी मैं उनकी जान,
उनसे ही तो मिली थी मुझे मेरी पहचान,
आखिरी साँस तक भूल नहीं सकता उनको
उनके रूप में मिले थे मुझे मेरे भगवान!!!!
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