तुम कल्पना करोगे तो मैं ख़्वाब लिखूँगी
तुम सपना देखोगे मैं मुक़म्मल दास्ताँ लिखूँगी,
तुम धरती सोचोगे तो मैं सारा संसार लिखूँगी
तुम उन्मुक्त गगन कहोगे मैं पंखों की उड़ान लिखूँगी,
तुम बूंद समझोगे और मैं नदियों की उफान लिखूँगी
तुम हँस दोगे तो मैं ख़ुशियों की भरमार लिखूँगी,
तुम तितली देखोगे मैं रंगों का आभार लिखूँगी
तुम नींद में रहोगे तो मैं तारों भरा आकाश लिखूँगी,
तुम चंचल शोख अदा मैं शांत सरल स्वभाव लिखूँगी
तुम धड़कन बन कर साथ रहोगे और मैं दिल लिखूँगी
तुम कह दोगे प्रिय तो मैं प्रेम की रीत लिखूँगी
तुम भावनाएँ बनोगे और मैं गीत लिखूँगी..
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