QUOTES ON #मेरेसामने

#मेरेसामने quotes

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12 MAR 2022 AT 13:28

वो मैं उसके सामने थी
सब छोड़ छाड़ के हाथ मैं गई थामने थी
मन में मिलन के कितने ख़्वाब सजे थे
सोचा था प्रीत जैसे की मीरासे श्यामने थी

पर वो निकला हरजाई कहा देने को परीक्षा
सीता की अग्निपरीक्षा ली जैसे रामने थी

परीक्षा में नहीं बुराई पर क्यों ये नौबत आई
साईं ने की रक्षा सही समय पे आँख खोल के
कुंती की रक्षा जैसे की घनश्यामने थी

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23 JUL 2018 AT 19:45

"वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है"

वास्तव में उसकी वो चश्मे वाली भोली शक़्ल आज भी जहन में ताजा है... उसका छुप छुप के मुझे देंखना..अपनी बेंच पे प्रकार की नुकीली नोंक से लकड़ी को कुरेदकर मेरा नाम लिखना..टीचर के उत्तर पूछने पर खो जाना और मेरी तरफ देखते हुए उसका कहना कि सारे जहां से अच्छी हो तुम..और फिर अनायास ही मुस्कुराते हुए भरी क्लास के सामने मार खाना.. वो तब भी ऐसे मुस्कुराता था मानो उसे लकड़ी की कठोर बेंत नहीं लड़की के कोमल हाथ स्पर्श कर रहे हों....❤️💕

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19 JUL 2018 AT 21:38

एक दर्पण है
दर्पण में, मैं नही
तू दिखती हैं

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20 JUL 2018 AT 5:47

मैं खड़ा है
रोक कर मेरा रास्ता

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12 MAR 2022 AT 12:31

मैं भी उसकी मदद करने ही वाली थी
लेकिन मेरी तकदीर में तो कुछ और ही लीखा था
उसने मेरी ही खुसी के लिए अपनी जान दे दी...
आज भी मेरी दिल में धड़क ता है वो...
आज भी उसकी याद आता है मुझको...

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20 JUL 2018 AT 10:50

I was thinking of him while he was thinking of me,
of course i believe in magic.

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19 JUL 2018 AT 21:55

गर्दिश में चाँद तारे भी साज़िश करेंगे,
तेरी ज़ालिम निगाहें जब हमसे ज़िया माँगेंगे।
मायूस न होना 'नफ़रत-ए-ग़ालिब' !
क्योंकि हम तब भी, तेरे दर पर
'मोहब्बत की रौशनी' लिए खड़े होंगे ।।

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12 MAR 2022 AT 21:53

सबके सवालों के घेरे में था
डरा सहमा एक टक देखे जा रहा था
मैं कुछ बोलू दिल के राज खोलू
लेकिन समाज की बेड़ियां पैरों में जो बंधी थी
कहीं प्यार बदनाम न हो जाए इस लिए डरी थी
चुप थी...कसूर यही था हमारी जाति अलग थी
और ओ सामने था...

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20 JUL 2018 AT 8:07

भोलेबाबा
बन जाते पीछे आसाराम
मूँह में राम बगल में छूरी
कर्म के नाम पे करते हो कांड

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12 MAR 2022 AT 22:27

लेकिन मेरा ना था
ये दिन भी देखना था कयामत से पहले

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