मेरे अल्फाज़
हर अल्फाज़ को जज़्बातों में पिरोती हूँ..
अश्कों की स्याही बना पन्नों में उड़ेलती हूँ..
लफ्जों में बयां ना कर पाऊँ जो अफ़साना..
मानो कलम ही चाहती हो वो सब सुनाना...
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28 AUG 2020 AT 8:34
10 MAR 2021 AT 5:40
रूह तो रूह के पास जाकर बात कर सकती है, आपस में एक दूसरे में समा सकती है ,संसार की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं।
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11 FEB 2018 AT 12:39
सुनो एक आज #Promise अपने माँ-बाप को भी कर देना की कभी उनका दिल कभी नहीं
दुखाएंगे..हमेशा उनको खुश रखेंगे..उनको भी ये सुनकर अच्छा लगेगा..!! 👪-
19 FEB 2021 AT 15:17
मेरी ख़ामोशी ही बेहतर है अल्फाजों से मेरे..
यकीन मानो.. मैं जवाब़ बहुत बुरा देता हूँ..!!-
21 JAN 2018 AT 10:20
हर-पल देखता हूँ उसे..
उसकी "तस्वीरों" में,
दीदारे-यार एसा ही लिखा है..
क़िस्मत की "लखिरों" में ।।-
6 FEB 2021 AT 19:34
मशहूर होने का शौक नहीं,मैं खुद में खुश रहती हूँ
ऋणी हूँ इस मिट्टी की,मिट्टी में खुशरहती हूँ।
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