QUOTES ON #मेरीमाँ

#मेरीमाँ quotes

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10 MAY 2020 AT 9:00

तुझको कैसे लिख दूं माँ इतनी ताक़त नहीं कलम में मेरी
हूं मैं तेरा ही एक दरिया माँ तुझ बिन नहीं ये जिंदगी मेरी

मेरा छोटा सा प्रयास को आप (caption) में जरूर पढ़े

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17 MAY 2019 AT 12:08

समझाते समझाते जिसकी उम्र निकल गई
"पास" होना कितना जरूरी है,


"अफ़सर" बन जब दूर निकल गए "बच्चे"

अकेले बुढ़ापे में वो "माँ" समझ गई
सच मे "पास" होना कितना जरूरी है....

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8 JUN 2019 AT 14:13

माँ कहती थी
जब चिड़िया
धूल में नहाती है
तब पानी आता है।
माँ कहती थी
जब धूप में
बारिश होती है
तो चिड़ियों का ब्याह होता है।
माँ अक्सर कहती थी
रात को पेड़ सो जाते है,
फूल पत्तियाँ नही तोड़नी।
माँ ने न जाने कौन से
पाठ पढ़े प्रकृति के?




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17 JUL 2020 AT 12:16

----माँ-----

हमें फिर से गोद मे उठा लो ना माँ,
अब हमसे चला नही जाता इस गंदे संसार मे।

मुझे अपने सीने से लगा लो ना माँ,
बहुत रुलाया है दुनियाँ ने तेरे इस लाल को


(-पूरी कविता पड़ने के लिए कैपसंन को पढ़े-)

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धूप में शीतल जल हैं "माँ"
बारिश में भीगा आँचल हैं "माँ"
दर्द में पट्टी मरहम हैं "माँ"
ख़ुशी में गीत सरगम हैं "माँ"
ममता का संकल्प हैं "माँ"
दुआओं का कल्प बृक्ष हैं "माँ"
धरती पर जन्नत हैं "माँ"
कहे "कुँवर" अनन्त हैं "माँ"

©कुँवर की क़लम से...✍️

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10 MAY 2020 AT 21:49

ठोकरों से मुझको कोई डर नहीं लगता
ने संभलके चलना सिखाया है

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आँख खुलते ही तेरी सूरत का दीदार हो,
माँ तेरे पैरो को छूकर दिन की मेरी शुरुआत हो।
वक़्त पर खाने के लिए हर रोज़ वो टकरार हो,
थक हारकर जब आऊ रातों को घर अपने,
तेरे आँचल में प्यार की वो सुनहरी ख्वाब हो।
दुआ करूँगा परवरदिगार से अपने
ये सिलसिला यूँ ही निरंतर बरकरार हो।

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10 MAY 2020 AT 11:20

वो एक शब्द नहीं पूरा संसार है
जिसके बिना अधूरा हमारा परिवार है
वो है दूर्गा सी शक्तिशाली, काली सी गुस्सैल
पर लक्ष्मी सी गुणी और सरस्वती सी शीतल भी
वो जो बिना कहे सब जान लेती , सब पहचान लेती है
वो है हम फूलों की क्यारी सबसे न्यारी
वो है मेरी प्यारी माँ ।

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14 FEB 2020 AT 19:28

गर आना हो तो जिस्म से परे, मेरी रूह का सफ़र तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे, मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना

मैं ज़िद्दी हूँ कुछ बातों में, दिल डरता है अक्सर रातों में
मेरी नासमझी पर,बेफिक्री पर, थोड़ा सा सबर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना

कभी सरदी में,कभी गरमी में, थोड़ी सख़्ती से,कुछ नरमी से
मेरे आने की,कुछ खाने की, बेबाक इक फिकर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना

मेरे सवालों में,मेरे ख्यालों में, बेमौज भटकते हालों में
कभी सुन लेना,कभी कह देना, बस वहीं पे बसर तुम करना
करनी हो मुहब्बत जो मुझसे , मेरी मां सी मुहब्बत तुम करना

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ना मस्जिद में ना मंदिर में
ना ही गुरुद्वारे में
सुन "माँ "
मेरी इबादत तो हैं
तेरे चरण द्वारों में.....

©कुँवर की क़लम से....✍️

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