कहानी चाहे कोई भी हो, किसी की भी हो, आपकी, मेरी ,या फिर किसी और की,
कहानी का दो अंजाम होता है , या तो चलती रहती है या खत्म हो जाती है,
लेकिन किसी भी कहानी के खत्म होने का कारण अगर गलतफहमी हो, तो वह कहानी कभी खत्म होकर भी खत्म नहीं होती।
मन में हजारों सवाल उठते रहते हैं ,क्यों हुआ, क्या हुआ ,कैसे हुआ ,यह हम हमेशा सोचते रहते हैं , और तकलीफ दोनों तरफ होती है।
आज मेरी आप सब से गुजारिश है अगर आपके मन में कोई भी बात हो ,किसी के लिए भी हो ,उससे बात करके आपस में सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए, ना की गलतफहमी में आकर रिश्ते तोड़ने चाहिए।
अगर कारण ही बनना है तो रिश्तों को जोड़ने का कारण बनो, तोड़ने का नहीं।
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