QUOTES ON #मेरी_कलम

#मेरी_कलम quotes

Trending | Latest
3 JUN 2020 AT 20:29

मेरी कलम !

कलम से जो इश्क़ हुआ है
शायद ही अब कभी कम हो,
सिखाया है मुझे मुस्कुराना
जब भी ज़िन्दगी में कोई ग़म हो

मेरे अश्कों की बूँद को वो
बदल देती है अल्फ़ाज़ में
सिर्फ़ इन पन्नों पर ही नहीं वो
रहती है मेरे हर एक जज़्बात में

उस जैसा इश्क़ मुझे शायद ही
मिले अब किसी फ़रिश्ते में
क्यूँकि मैं ख़ुद भी नहीं जानती
क्या लगती हूँ उसकी रिश्ते में

रूठती नहीं वो मुझसे कभी
मेरे हर पल में वो मेरे साथ है
ग़र रूठ जाऊँ मैं कभी तो वो
ख़ुद ही आ जाती मेरे हाथ है

रात के घने अंधेरों में वो
अक्सर बन जाती मेरा सुकून है
सवेरों के नूर में वो मेरी कलम
बन जाती मेरा जुनून है ! !

-


22 FEB 2019 AT 18:30

देखो धरती का वो पाला , जिस पाले में आग है ।
सब कुछ समतल रेत जैसा , जिसमे पानी साफ है ।
तुमको मेरी हर बातों में , जो कटुता झलकती है ,
सब में तेरी परछाईं है , मेरी क्या अवकात है ।

-


9 MAR 2019 AT 17:29

उसे बस इक चाँद का दर्जा देने वाले ,
मुझे भी चाँद कहीं से दिखला ।
जो देखूँ ना हफ्ते , वर्षों लगते ,
इक इक पल को कहीं से दिखला ।

-


10 FEB 2019 AT 18:26

और फिर से तुम उर्दू हो गई ।
सब अपने जगह वही ठहरा है । हाँ बस वक़्त के साथ समय का थोड़ा बनता नही, और प्रेम ने कभी इश्क़ से मुलाक़ात नही की ।
और हिंदी भी वही रुका हुआ है । बस थोड़ा सा मैं उर्दू हो चुका हूँ ।
और फिर मैं भी उर्दू हो गया ।

-


1 JAN 2019 AT 0:58

मुझे पता है मेरा भी नया साल ऐसा ही होने वाला है ।

एक लेखक अंतहीन हो के आकाश में फटते पटाखों से कह रहा था।

-


17 JAN 2019 AT 17:04

मैं दिन गिनता ,हर शाम गिनता ,
बेशबर हर खबर , घड़ी चार गिनता ।
जिस सुबह, तेरे हाथों की प्याली ना हो,
उस सुबह को , समय से निकाल गिनता।

मैंने देखे नजारे बहुत है मगर ,
वो नजर ना कहीं , जहाँ चाँद दिखता ।
देता तुझको भी कसमे हवाओँ के मैं,
रुक जाओ पहर , घड़ी चार गिनता ।

मैं दिन गिनता , हर शाम गिनता,
बेशबर हर खबर , घड़ी चार गिनता ।

-


22 MAR 2019 AT 18:42

मैं रात चाहता हूं ,
दो जिस्म एक जान चाहता हूं ।
शायरों की तौहीन नहीं ,
किताबों की मिसाल चाहता हूं।

मैं हर मांग में , लाल नही चाहता
पर हर इंसान के दिल में मलाल चाहता हूं।
मुझे उसके परिवेष से फर्क नही कोई ,
पर दर्द उसका , सरे बाजार चाहता हूं ।

P.S
मैं वह मुहब्बत चाहता हूं , जिसमे ख्वाहिश हो , लज्जत हो । मैं बोतल की सुर्ख शराब पीना चाहता हूं , शायर की खयाली शराब में शबाब नहीं ।

-


2 FEB 2019 AT 18:08

बस रात को , इक बात कहूँगा ,सुनने पास में आ जाना ।
आकर पास में मेरे शिकवे ,दूर कहीं ना कर जाना ।
दिल को दिल के पास ही रखना ,डर लगता अब धक धक से ।
प्यास में शायद राष न आए ,बोझिल कायर बक बक से ।
इसको उसको क्या बोलूँ मैं ,सब शातिर आँखें जैसी ।
सबको अपनी ही चाहत है ,सब कायर जाने दोषी ।

P.S
उस रात को , मेरे लब्ज़ ना निकले ,
तो तुमं आँखों से पढ़ना ।
शायद मेरे आँखों में ,
बस तेरी बातें थी जाना ।
बस रात को इक बात कहूँगा , सुनने पास में आ जाना।

-


20 APR 2019 AT 20:40

किसी को तेरे जुल्फों में रात दिखता है
किसी को मेरी दोस्ती में दाग दिखता है
कहीं तेरी जिंदगी के ,कसमो में स्वाद का ,
टूटते दोस्ती का आगाज़ दिखता है ।

जो कहानी कहने से थकते नही थे ,
यारो के यारी में जमते बहुत थे ,
दो दिन में जाने क्या गुल खिला गई ,
अब आँखो को मेरे वो दिखते नही थे ।

P.S
सब एक एक कर के बदल गए,कहीं लोग बदले, कहीं साल बदले
कहीं हवा बदली , बस एक बदलना नही बदला।

-


16 APR 2019 AT 20:25

आज हवा में आँधी है ,
बरसात में पानी होगा क्या ?
हर ओर हैं अंधे आँखों वाले ,
आकाश में बादल होगा क्या ?

P.S

जरा रो लो बरसात है ,
थोड़ा रुक कर अवसाद है ।

-