है भगवान का घर जो अल्लाह से आबाद है,
जी हाँ ये भाईचारे का शहर, इलाहाबाद है।
सदियों से जलती ज्ञान की यहाँ आग है,
दोआब की धरती, तीर्थराज प्रयाग है।
दिए इसी ने नेहरू इंदिरा, शहीद यहां आज़ाद है
खाके इसके लाल 'सेबिया', दुनिया भी मुराद है।
महादेवी की धरती, निराला, सुमित्रा, फ़िराक़ है
कलम-योद्धाओं ने किया बहुतों को यहां ख़ाक है।
हरिवंश की धरती से निकला बच्चन सा उस्ताद है,
कलम, कला, अध्यात्म, यहाँ की उफ़्ताद है।
गंगा किनारे आरती तो यमुना किनारे नमाज़ है,
पहले सा ही मलंग, बेफिक्र भी आज है।
भारद्वाज आश्रम, अल्फ्रेड पार्क यहाँ पे, यहाँ पे खुसरो बाग है
संकटमोचन सोते यहाँ, यहाँ पे वासुकि नाग है।
अकबर का है किला यहाँ, वहीं लगता माघ मेला है।
श्रद्धा के इस कुंभ में लगता करोड़ों का रेला है।
है भगवान का घर जो अल्लाह से आबाद है,
जी हाँ ये भाईचारे का शहर, इलाहाबाद है।
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