कभी-कभी हजार माफियां भी..!
कम पड़ जाती हैं एक गलती के लिए..!!-
कांटों की राह पर भी हंसते-हंसते मैं चल लेती,
तू अगर मेरे साथ होता तो हर दर्द भी सह लेती।-
ये मेरा दर्द हैं किसी और का
मत समझ लेना
बोलुगा दोस्त का दर्द हैं
पर तुम मान मत लेना-
दर्द समझ ना सकोगे तुम चाह कर भी मेरा,
मैं खुद पर ऐसा आवरण कर सकता हूं,
अब मैं राख के उस घर सा हूं जो,
हर मौसम की आग सहन कर सकता हूं,
फकत जलकर जब मिल जाओगे मुझ में,फिर समझोगे,
मैं अकेला ही कितने सारे राज दफन कर सकता हूं,
वक्त मिले तो कभी जाकर पूछना मेरे गुजरे वक्त से कि,
किए वादे पर कैसे मैं अपनी जान समर्पण कर सकता हूं,
और वो जुबां जो कद्र ना करती कभी संगीन यहां जज्बातों का,
ये मत भूलो की तलवार उठा सर काट कर भी अमन कर सकता हूं,
Dr.Shivendra Pratap Singh-
लफ्ज़ दर लफ्ज़ लहूलूहान हुऐ पडे़ हैं पन्नें सभी,
और एक तुम हो कि दर्द मेरा दिखता ही नहीं ।।-
जिंदगी के इस मोड़ पर इतने
मजबूर हो गए हैं..,
मां-बाप के इज्ज़त के खातिर
प्यार से दूर हो गए हैं हम...!-
तेरी धड़कन की आवाज अब भी सुनती हूँ
और वो कहते हैं अब तो होश में आओं😢-
कहते है, की तकलीफ़ अगर किसी को,
बताए अपनी..
तो कम हो जाती है।
अगर कोई रूबरू...
हो दिल के जख्मों से,
कमबख्त वो भी जख्म भरने को वजह,
कुरेदने में मजे लेते हैं।😀🙏-
मत लाओ इस दुनिया में
हर कदम यहाँ हैवान है
इंसानों की बस्ती है ये क्या
कहाँ कोई यहाँ इंसान है
हर दिन सब मुझसे कहते
इज्जत बचाकर तुम रखना।
क्यों दुपट्टा लिया नहीं
क्यों छोटे कपड़े पहना
मुझको ही क्यूँ कहते हो
बेटों को सीखाना क्या याद नहीं
भारत तो आजाद हो गया
लेकिन मैं आजाद नहीं
राह चलते लाखों नजरें
मुझको घूरते रहते हैं
कभी आँखों से कभी बातों से
हर पल बलात्कार मेरा करते हैं
दर्द होता है मुझको माँ
एक बार कहना मान लो
या उनको जन्म मत दो तुम
या मुझे कोख में मार दो
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