मेरी संगनी मेरी अर्धांगनी,
तू हवा जल सी पावनी,
मैं गीत कोई विरह का,
तू मिलन की कोई रागनी,
है धूप सी यह ज़िन्दगी,
तेरी छाओं में है गुजारनी,
मैं गांव तेरे ख़्वाब का,
तू पीपल की कोई छावनी,
मन चंचल क्षणभर ठहर,
तेरी ओट ही है मनभावनी,
तू ही राधा तू ही मीरा,
तू उर्वशी मेरी कामिनी,
मेरी संगनी मेरी अर्धांगनी,
तू हवा जल सी पावनी..!
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