QUOTES ON #में_और_मेरे_अहसास

#में_और_मेरे_अहसास quotes

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4 JUN 2020 AT 15:51

जो कहते हैं की किसी के छोड़ जाने से कोई नही मरता
तो में उनसे कहना चाहती हूं कि
मर जाना ही सिर्फ जान निकल जाना ही नहीं होता
एहसास का खत्म हो जाना,मुस्कुराहते भुल जाना,
ज़िन्दगी बेरंग सा लगना,हसने से डर लगना,
तन्हाईयो का मुक्कदर बन जाना,
क्या ये सब मरने के बराबर नही है??

जान निकाल जाए तो दर्द से जान छूटता है
मगर जीते जी मरना बहुत तकलीफ देता है
😢😢
सांसे तो चलती है मगर जान बाकी रहती है
ज़िस्म भी होता है मगर ना ज़िन्दगी होती है और
ना जिंदा रहने की तम्मना😔
सिर्फ ज़िन्दगी गुजारी जाती है
ज़िन्दगी जी नही होती🤐
क्या ये वाली मौत जान निकल जाने वाली मौत से
ज्यादा तकलीफ वाली नही नही होती??
क्या इस तरह जिय जाने को मौत नही कहा जा सकता??

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हो जाए कोई टेंशन तो चैन से सो भी नहीं पाती हूं
किसी की भी नाराजगी बर्दाश्त नहीं कर पाती हूं

गुस्से से बात करें मुझसे कोई तो रोने लग जाती हूं
लड़ाई झगड़े से बहुत डरती हूं
इसलिए शब्दों को संभाल कर बात करती हूं

हां में ऐसी ही हूं
थोड़ी पागल थोड़ी झल्ली सी हूं .......!!


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26 JAN 2021 AT 21:58

सुनो,..
आज कल ठंड ज्यादा पड़ रही है, तुम
अपने हांथ से बनी,अदरक वाली चाय पिला दो ना ,
कुछ यादें हमारी भी मीठी हो जाएगी...

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19 JUN 2021 AT 17:46

ऐसी हुं मैं

गर्द से ढकी किताब की तरह,
डायरी में छुपी गुलाब की तरह,
बंद कमरे में शराब की तरह,
बोतल में बंद ख्वाब की तरह,
चेहरे को छुपाती हिजाब की तरह,
बंद मुट्ठी में सैलाब की तरह।

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7 FEB 2021 AT 7:50

मुर्शद..!!
एक रोज वो भी.!!
किसी पन्ने में मेरा नाम लिख फाड़ देगा..
वो इस कदर परेसा होगा मुझसे..
कि लेगा गुलाब अपने महबूबा के लिए..
और मुझे याद कर, उसे बेरहमी से...
जला कर फेंक देगा..??

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23 OCT 2020 AT 20:09

ये तन्हा रात कुछ सुनाना चाहती है
सुनूं कैसे
मेरे कानों में उसकी ही आवाज़ गूंजती है

ये रात मुझे हराना चाहती है
पर हराए कैसे
में तो किसी और पे दिल हार के बैठा हूं

ये रात मुझे आजमाना चाहती है
आजमाए कैसे
में तो सबकुछ पहले ही लूटा के बैठा हूं

ये रात मुझे अपना हाल बताना चाहती है
बताए कैसे
में खुद बेहाल बैठा हूं

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13 JAN 2021 AT 10:04

ये लोग वफ़ा के बदले वफ़ा नहीं करते हैं
यूँही भावनाओं की जमकर दही करते हैं

यहाँ बिगड़ी पड़ी है हालात मेरे घर की
ये लोग कहते है खुदा सब सही करते हैं

कहीं बह गया रिश्तों का पानी नदियों में
वो बरसात और सूखा भी कहीं करते हैं

भूले है पाप पुण्य का लेखा अदालतों में
गुनाहों को जोड़ जोड़कर बही करते हैं

कहीं नही जाते वो दिलों को तोड़ने वाले
आकर परेशान तो यादों में यहीं करते हैं

खैर "कपिल" तू बस ये दगा करना सीख
यहाँ के सब लोग आजकल वही करते हैं

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26 FEB 2021 AT 19:45

दूर से ही सलाम कर लेते है हम।
इश्क़ का रोग मेरे बस का नहीं।।

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21 APR 2020 AT 13:50

कुछ अल्फ़ाज़ उलझे से, कुछ मैं उलझी अल्फाजो में।
आहिस्ता सांसे भरती हूं, कहीं फंस ना जाऊं शून्य के मांझे में।

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24 AUG 2020 AT 7:07

तकलीफ अकेलेपन से नही
अंदर के शोर से है। ❣️

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