QUOTES ON #मूरत

#मूरत quotes

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8 AUG 2020 AT 8:48

तुम बन जाओ मूरत प्रेम की ,
मैं तुम्हारी जोगन बन जाऊं ।

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11 APR 2020 AT 17:25

तुम सीख जाओ बोलना भी, मन की हर बात को,
मैं हूँ निपट अनपढ़, मुझे पढ़ना तक नही आता!

दिखा दो अपनी आंखें खोलकर दिल के आईने को,
मुझे आँसुओं की जुबान का तज़ुर्मा भी नहीं आता!

जता दो पर्दे के पीछे की छिपी ख़्वाहिशों की मूरत,
मैं नही हूँ शिल्पी, मुझे पत्थर तराशना नहीं आता!

बहा लो मुझे भी अपने संग, जज्बातों के भंवर में,
मैं हूँ शांत समंदर, मुझे लहरें उठाना नही आता!

भर दो साँसे मेरी जिंदगी में, तेरी साँसों की तरह,
मैं बसर करूँ तो कैसे, मुझे जीना तक नहीं आता!

जो भी हूँ, जैसा भी हूँ, जंहा भी हूँ, तेरे सामने ही हूँ,
समेट लो मुझे बाँहों में, खुद को बिखेरना नहीं आता!

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5 MAR 2018 AT 21:11

जिंदगी खूबसूरत है
जब तक एक खामोश मूरत है
सुननी हो गर दिल की बात
तो मौन की जरूरत है

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6 NOV 2021 AT 15:09

कितना भी तोड़ो
हमे टूटकर जुड़ने की कला
आती है,
हम तो माटी के पुतले हैं
हर रुप में हर सांचे में
ढल के निखरने की कला
आती है।

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9 AUG 2020 AT 17:56

बनाओ मंदिर और एक मूरत को छाँव दो
ग़रीब के बदन का धूप से कोई वास्ता नहीं

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19 JUN 2021 AT 17:36

बांध लें मुझे बंधन में और
निकलवाले कोई मुहूर्त
(Caption पढ़ें👇👇)

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12 JUL 2017 AT 12:39

"त्याग और समर्पण की मूरत"

माँ की ममता का कोई मोल कहाँ, वो तो सारे जग से ऊपर हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत हैं।

नॉ महीने तक गर्भ में देती वो आश्रय अपने तन से मेरा तन बनने तक,
करती पोषित नित दिन मुझकों, अपने रक्त से सीच कर।

अपनी आँखों से दुनियां और उसके दस्तूर दिखाती हैं,
मेरे रक्त के कण कण में ममता उसकी विराजित हैं।

अपनी इच्छाओं को त्याग कर सबकी इच्छाएं पूरी वो कराती हैं,
सबका ख्याल रखती हैं वो और खुद को भूल जाती है।

घर परिवार के आगे उसको कहाँ कुछ दिखता हैं,
उनसे ही उसका सारा जीवन चलता हैं।

सबके सुख में सुखी वो होती, दुख में दुखी हो जाती हैं,
अपने सर पर ही वो घर का, सारा भार उठाती हैं।

घर परिवार को वो जोड़े रखती, संस्कारों से सींच कर,
खुद वो हैं नित दिन जलती, सारी तकलीफों को झेल कर।

ना आने देती कष्ट किसी पर, सब अपने ऊपर लेती हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत होती हैं।
(Full poem in caption)
-Naina Arora

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9 JUN 2018 AT 16:01

बुतपरस्ती मेरे मज़हब में हराम ना होती
तो मेरे दिल में तेरी मूरत होती
और रोज़ पढ़ती कलमा तेरे नाम का

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29 JAN 2021 AT 12:36

रात के रंग में ढल गए,
देखो न वो कितने बदल गए।

कल तलक तकते थे जो दिन रात वो,
आज मुँह फेर निकल गए।

मूरत बनाकर रखा जिसे हमने,
जाने कैसे वो अब पत्थर बन गए।

चले थे हम भी खुद को "ज्योति" बनाने,
पर चंद आँसुओं में उनके हम तो पिघल गए।

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8 JUL 2020 AT 9:38

कोई नाकामयाबी की सबूत माँगे तो मेरा पता बता देना
शर्म आती है मुझे बहक में आ कर कहीँ मेरी मूरत बना देना...

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