QUOTES ON #मुक़म्मल

#मुक़म्मल quotes

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16 JAN 2017 AT 19:26

मैं शायद तुम्हारी किताब का अधूरा पन्ना थी,
तुम मेरी मुक़म्मल कहानी थे....

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22 OCT 2020 AT 18:22

क्यों है हमको तुमसे इश्क बेइंतेहा बेसबब, यह मत पूछिए,
कब, कैसे, कंहा, क्या, क्यों हुआ ये सब, यह मत पूछिए!

गुलों पर मंडराता भौंरें का, गुनाह तो बिल्कुल भी नहीं होता,
मैं तेरी चाहत का बेहद तलबगार हूँ, यह गुनाह मत पूछिए!

बेशक हस्र की खबर है परवाने को, चरागों पर मंडराने की,
मैं क्यों होना चाहता फ़ना तेरी मोहब्बत में, यह मत पूछिए!

ज़हर बने या सदफ़, स्वाति बारिश के बूंदों की, किस्मत है,
कैसे बनाऊं अंजुम तेरी आंखों के नमी से, यह मत पूछिए!

भले ही महफूज़ होता होगा सुर्ख गुलाब, खारों के दरमियां,
रखूँगा कैसे तुमको महफूज़ मेरी बाँहों में, यह मत पूछिए!

डूब जाती है कश्तियाँ कभी कभी, साहिल के आसपास भी,
कैसे बचा पाऊँगा तुम्हे जज्बातों के भंवर से, यह मत पूछिए!

लिखते होंगे ग़ज़ल तुम पे कोई ओर, मुशायरा लूटने के लिए,
मेरी हर ग़ज़ल का हर्फ़ हर्फ़ तेरे नाम "राज" यह मत पूछिए! _राज सोनी

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11 OCT 2019 AT 22:39

वे गुजरा करतेहैं हर रोज़ मेरे गली से
लेकिन उनसे मुलाकात नहीं होती ।
बातें तो बहत करतिहुँ उनकी
लेकिन कभी उनसे बात नहीं होती।
हर रोज़ मांगा करतिहुँ उनको पाने की दुआ,
लेकिन क्या करूँ मेरी ईबादत कभी मुकम्मल नहीं होती।

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12 FEB 2019 AT 13:03

मुझे क़ामिल करने आये थे वो
मेरा इश्क़ मुकम्मल करने आये थे
वक़्त की ज़रा सी आंधी क्या चली
वो तो आंधी संग हवा हो लिए

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16 JAN 2022 AT 14:04

ग़र एक मुक़म्मल इश्क़ तुमसे,
फ़िर मैं हूँ तुमसे, तुम हो हमसे......

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21 NOV 2018 AT 16:58

ये मुकम्मल दास्ताँ
ही तो है मेरे पहले
आये हो कई इससे
कोई फर्क नही पड़ता
मेरे बाद कोई न आयेगा
यही है सबूत तेरा मेरा
होने की उम्र भर

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19 MAY 2020 AT 9:26

ख़्वाहिश थी इश्क़ की मुक़म्मल कहानी लिखने की
अब लिख रहा हूँ मुसलसल यादें उसकी

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2 AUG 2021 AT 12:35

कुछ तो बाकी रह गया मेरे इस इतंजार में ।
अब मैं मुक़म्मल हूँ अपने इस इंतेशार में ।।


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30 JAN 2020 AT 10:00

कि तू जो मिला है मुझको किसी मुकम्मल दुआ की तरह..
पढ़ता हूँ तुझे मैं हर्फ़ दर हर्फ़ किसी पाकीजा ए आयत की तरह...
#दुआ

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9 FEB 2018 AT 23:19

कुछ बादलों सा वो
उसमें सांझ सी ढल रही हूं मैं
उन मदमस्त आंखों में डूब
उसकी बाहों में पिघल रही हूं मैं..!!

ऐसे ही पास रहे वो
दिल को उस संग राहत है
वरना खुद में ही एक
जमाने से जल रही हूं मैं..!!

एक उसके ही दीदार से होती है
साँसें ये मेरी मुकम्मल
बिन उसके अपनी ही
धड़कनों को खो रही हूं मैं..!!

वो बसा है मुझमें
मेरी ही रूह की तरह
उसके हर एहसासों संग
कुछ उस सी बन रही हूं मैं..!!

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