क्यों है हमको तुमसे इश्क बेइंतेहा बेसबब, यह मत पूछिए,
कब, कैसे, कंहा, क्या, क्यों हुआ ये सब, यह मत पूछिए!
गुलों पर मंडराता भौंरें का, गुनाह तो बिल्कुल भी नहीं होता,
मैं तेरी चाहत का बेहद तलबगार हूँ, यह गुनाह मत पूछिए!
बेशक हस्र की खबर है परवाने को, चरागों पर मंडराने की,
मैं क्यों होना चाहता फ़ना तेरी मोहब्बत में, यह मत पूछिए!
ज़हर बने या सदफ़, स्वाति बारिश के बूंदों की, किस्मत है,
कैसे बनाऊं अंजुम तेरी आंखों के नमी से, यह मत पूछिए!
भले ही महफूज़ होता होगा सुर्ख गुलाब, खारों के दरमियां,
रखूँगा कैसे तुमको महफूज़ मेरी बाँहों में, यह मत पूछिए!
डूब जाती है कश्तियाँ कभी कभी, साहिल के आसपास भी,
कैसे बचा पाऊँगा तुम्हे जज्बातों के भंवर से, यह मत पूछिए!
लिखते होंगे ग़ज़ल तुम पे कोई ओर, मुशायरा लूटने के लिए,
मेरी हर ग़ज़ल का हर्फ़ हर्फ़ तेरे नाम "राज" यह मत पूछिए! _राज सोनी
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