एक आंसू साथ आया दूर तक,
बेवजह मैं मुस्कुराया दूर तक..!
ढेरों शिक़वे कितनी बातें थी मगर,
आप से कुछ कह न पाया दूर तक..!
आईने में कैद थे चेहरे मगर,
हमने खुद को तन्हा पाया दूर तक!!
दर्दे दिल को ढाल कर लय में स्वतंत्र,
आशिक़ी का गीत गाया दूर तक..!
साथ छोड़ा हर खुशी ने जब मेरा,
दर्द मेरे साथ आया दूर तक..!
सिद्धार्थ मिश्र
-