मन्नत के धागे, नजूमी के कौल से भी, नहीं हैं सब्र,
ख़्वाहिश करते ही टूटता तारा मिले, तो बात बने!
जिंदगी के लिए जीने की सिर्फ शिद्दत काफ़ी नहीं,
जीने की कोई खूबसूरत वजह मिले तो बात बनें!
यूँ तो मिल जाते हैं राहों में हमनवां, हमदम, अक्सर,
कोई मिले जिंदगी का हमसफ़र, तब तो बात बनें!
मिलते मुसाफ़िर अलग राहों के अक्सर ज़िन्दगी में,
कोई अपनी राह से मेरी राह पे आये तो बात बनें!
दोस्त अहबाब बहुत हैं, जो याद आते हैं खुशियों में,
कोई मिले ऐसा, जो ग़म में याद आये तो बात बनें!
पढ़ते तो सब है मेरे अल्फ़ाज़-ए-तहरीर को बेशक,
कोई तस्दीक तो करे मेरे बयान को, तो बात बनें!
यूँ तो आंसू पोंछने को मेरा अपना दामन तो है "राज" _राज सोनी
कोई अपने आँचल में ले ले अश्कों को, तो बात बनें!
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