दवा और दुआ में असर हो तो, हर जख्म को सीना मुमकिन है,
कड़कड़ाती ठण्ड़ में सरहद पर, बहता पसीना मुमकिन है।
नामुमकिन भी मुमकिन हो, इरादा पक्का हो जाए तो,
प्रकृति भी झूम उठे, अगर तानसेन गाए तो,
हिम्मत है तो जिस्म में, जुनूनी रक्त दौड़ना मुमकिन है,
दशरथ माँझी बनो तो, अकेले पहाड़ तोड़ना मुमकिन है।
हरियाली छा जाए, जो हर कोई बस एक पेड़ लगाए तो,
विष भी असर नहीं करे, अगर स्वयं चंदन हो जाऐं तो,
अगर ठान लिया तो कांटों पर भी, हँसकर चलना मुमकिन है,
हाथों में लेकर सूरज को, एक घूँट में पीना मुमकिन है।
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