वो कौन था?
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घर से था वो बहुत दूर
सब कुछ हो चुका था बंद
उसमें उसका क्या कसूर था
दिन में कमाने से शाम का खाना बनता था
अब वो कहाँ से चुगकर लाता दाना
हालात हो गए भूखे मरने के
घर जाने के सिवा कोई चारा ना था
हुकूमत ने नहीं ली उनकी कोई सुध
तो निकल पड़ा वो पैदल उसे घर जाना था
दूरी ज्यादा थी घर की जाना आसां न था
फिर भी वो चलता रहा उसे घर को जाना था
कब तक चलता वो थक कर चूर हो गया
आराम के लिए वो पटरी पर ही सो गया
बस ट्रेनें नहीं थी उसके जाने के लिए
सब कुछ बन्द था आने जाने के लिए
बेफिक्र था ट्रेन से इसलिए पटरी पर लेट गया
थकान इतनी थी नशे की नींद सो गया
जो ट्रेन चलनी थी उसको ले जाने के लिए
वो उनके ऊपर चली ऊपर ले जाने के लिए
हुकूमत कर देती उनकी व्यवस्था
तो नहीं होती उनकी हालत ख़स्ता
आप जान गए होंगे वो कौन है
वो हुकूमत का सताया हुआ
रोटी से दूर मजबूर मजदूर था..।
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