QUOTES ON #मुखड़ा

#मुखड़ा quotes

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31 JUL 2020 AT 21:19

भूल गयी, या कुछ याद नहीं,
कल तक हम मरते थे जिस मुखड़े पे,
उसमें अब वो जज्बात नहीं।

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1 MAR 2019 AT 8:59

विपक्ष हमेशा अपना दुखड़ा गाती है
सरकार अंतरे पर तो वो मुखड़ा गाती है

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25 SEP 2020 AT 14:47

तेरा ही मुखड़ा बस गया है कब से मेरी स्मृति में।
दिखते हैं राम ही अब तो मुझको राम की सारी कृति में।।

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सब कहते हैं माँ !
मैं तुम जैसी दिखती हूँ ,तुम्हारी छाप है मुझमें ...
वे गलत हैं , मैं तुम जैसी
बिल्कुल नहीं हो सकती
मेरा सिर्फ मुखड़ा मिलता है तुमसे
तुम्हारे गुण नहीं हैं मुझमें ..
सब कहते हैं माँ !
मैं तुम जैसी दिखती हूँ , तुम्हारी छाप है मुझमें ....
मैं सिर्फ तुम्हारा अंश हूँ
तुम जैसी कभी नहीं बन सकती
तुमने जितने संतोष किए हैं
उतना धैर्य नहीं है मुझमें ..
सब कहते हैं माँ !
मैं तुम जैसी दिखती हूँ , तुम्हारी छाप है मुझमें ....
तुमने कितना कुछ सहा है
कभी जुबान ना खोली
और मैं आजादी प्रिय
किसी को सहन नहीं कर सकती
तुमने सब के अत्याचारों को
आदर सम्मान दिया
मैं ऐसे रिश्तो की जिम्मेदारियां
वहन नहीं कर सकती
जितना साहस, जितना धैर्य
जितनी शीतलता है तुममें
माँ ! ऐसा तो कुछ नहीं मुझमें ..
सब कहते हैं मां !
मैं तुम जैसी दिखती हूँ , तुम्हारी छाप है मुझमें ....

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देख वो गोरा सा मुखड़ा रश्क से,
साक़ी भी यूँ जाम ले कर रह गया।

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30 MAR 2020 AT 18:47

उनके मुखड़े के नूर के सामने सब नूर सादा लगा ।
अम्बर पर चन्दा पूरा था पर वो भी मुझे आधा लगा।।

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27 SEP 2021 AT 22:05

22 22 22 22 22 22 22 2
रंग बिरंगे ख़्वाब सजाए प्यार में गोरी पड़ने पर
रंग गुलाबी चढ़ के बोला इश्क़ का गोरे मुखड़े पर।1

इश्क़ की है तौहीन अगर रोई दिल तोड़े जाने पर।
जिसने तोड़ा लिखा है उसका नाम ही टुकड़े टुकड़े पर।2

मेरा हो के ये दिल मुझसे तेरी बातें करता है
मैं कर दूँ इंकार तो है तैयार ये मुझसे लड़ने पर।3

बात तो तब है हाल-ए-दिल भी कह दे अपने आप मुझे
आए मज़ा क्या तू जो बोले हाल किसी के कहने पर।4

दर्द है सहती, उफ़्फ़ न करती शेर, ग़ज़ल औ'र नज़्म कहे
दर्द की स्याही भरकर आहें लिखती "रिया" इस सफ़हे पर।5

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18 OCT 2020 AT 3:23

हो महबूब का "मुखड़ा"
कभी उखड़ा हो मुझसे
कभी मुस्कुराता हो
जब दीदार करूँ इसका
याद आता है तेरा "मुखड़ा"

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11 SEP 2017 AT 21:10

ए दुनिया वालों! कभी तुम भी अपनी राज की हर बात कही होती
काश!अनगिनत छली कर्मों का फिर से खुल के मुलाकात सही होती

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19 OCT 2021 AT 15:11

212 212 212 212
अपनी आवाज़ मुझको सुना दीजिए
इक ग़ज़ल मेरे कानों में गा दीजिए।1

कब से बैठे नदी के किनारे सनम
अपना मुखड़ा मुझे अब दिखा दीजिए।2

प्यार से मान जाता हूँ हर बात मैं
आप शिकवा गिला सब मिटा दीजिए।3

बात आगे बढ़ेगी भला कैसे अब
फिर नया सिलसिला इक चला दीजिए।4

है अकेली "रिया" आप आए नहीं
आके सबके दिलों को जला दीजिए।5

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