Media ka karobaar bade urooj me hai!
Pata karo musalman ne galti ki hai kya!-
यहाँ हज़ारो लोग हर रोज भूखे मर रहे है,
ना जाने कितने लोग कोरोना से झूझ रहे है,
लोग यहाँ मास्क पहन कर अपने ही घरों मे डूब रहे है,
लेकिन समाचार वालों को सिर्फ बच्चन साहब और पड़ोसी देश ही सुझ रहे है..-
हाल ए मीडिया भारत में कुछ हो गया है ऐसा साहब
17 दिन बाद टीआरपी के लिए पिटाई को रेप बना देते हैं
मिले गर पैसा अच्छा तो दुश्मन के भी गीत गा देते हैं
गर्मी से बेहोश लड़के को भी नशे में धुत्त बता देते हैं
बाप से मुँह छुपाती लड़की गर्मी से परेशान दिखा देते हैं।
दीपिका ,अनुष्का हुई प्रेग्नेंट राष्ट्रीय न्यूज़ बना देते हैं
न्यायालय चाहे निर्दोष कर दे साबित किसी मुजरिम को
उससे पहले ही ये व्यक्ति को चरित्र हनन की सजा देते हैं
कोई न चाहे मरना उसे मरने के लिए मजबूर बना देते हैं
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कुछ(तथाकथित) मीडिया, दलाल, गोदी, भांड, बिकाऊ, दहशतगर्दी, झुठफ़रोश, ग़ुलाम, दरबारी, सर्कस, नफरत , तर्कहीन, चाटूकारिता, पंगु, दंगाई, जिहुजरी, बाजारू बन गई हैं।
मीडिया कभी लोकतंत्र की #चतुर्थस्तंभ हुआ करती थी, मगर 2014 के बाद यह सिर्फ़ (पहले के शब्दों से पहचाने) नेताओ सरकार और पूंजीपति की की प्रवक्ता और ढाल है। चापलूसी करती हैं और नफरत, झूठ को बेचती है और निर्दोष को दोषी, सच को झूठ बनाती हैं।
#मुझे चाटुकारिता मीडिया(प्रिंट, TV) से नफरत हैं-
न जन मानस पे कार्य करती है
न मीडिया के प्रभाव में
अदालत से दोषी छूट जाते है
तत्थ्यों के अभाव में ।।।-
नशे के आगे नशेड़ी हो गई पत्रकारिता
वास्तविक समाज के नशेड़ी कोहराम मचाये हुए है
शैल-
खबरें हो या खाना अधिकतर मसालेदार ही अच्छा लगता है
फिर चाहें लोगो को हजम हो या ना हो-
जाहिल तमाम, हिंसा भड़काने की तालीम बख़ूबी है इनको
दो लफ्ज़ बोल दें अगर, तो मोहल्ले कब्रिस्तान बना दे ये
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जिन्होंने अपने हथियार ही बैच दिए चंद पैसे कि खातिर
अब उन हारे हुए जाहिलों को और क्या हराना..
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