मिस्डकाल
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मिस्डकाल का नाम आते ही 90 के बच्चों के मन में
कई सारे यादें ताजा हो जाती होंगी । 90 के दशक में
मिस्ड कॉल की बात कुछ और ही होती थी ।आज के
जैसे नहीं । उन दिनों मिस्ड कॉल कुछ छुप्पम-छुपाई
जैसे होता था जैसे कि किसी के घर का बेल बजाओ
और भाग जाओ ।ज्यादातर मिस्ड कॉल उनके घर आते
थे जहा स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चे होते ।
अभी जैसे तो था नहीं कि नंबर डिस्पले हो जाए । घर वाले बड़े परेशान रहते थे सोते-जागते....
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