गर बटवारा करना तुम
मोहब्बत का मेरे रकीब से,
बहुत कुछ नहीं चाहिए
पर थोड़ा कम तेरे अज़ीज़ से,
मेरी मिल्कियत में
लिख देना तुम..
वो चाय का कुल्हड़
जो रोज
चूमता रहा तुम्हे,
उसमे अभी तेरी सांसों की महक होगी,
वो काली पेंसिल
जो मुझे तेरे हाथ की
गरमाहट देगी,
वो एक पन्ना
जिसमे मैंने अपने हाथों से
नाम लिखा था तेरा,
और,
तुम....
उसी के ही हो,
बस
तुम्हारी रूह
आज भी सिर्फ मेरी मिल्कियत है!!!
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