मिलन के नाम से ही क्यूँ अक्सर रूठ जाती हो बातें बंद करती हो फिर तुम भूल जाती हो किस ओर जाती हो अधूरा छोड़ जाते हो तलब होठों पर रहती है तुम दिल तोड़ जाती हो मिलन के नाम से ही क्यों अक्सर रूठ जाती हो
हर फ़िज़ा में रंग हर शाम खूबसूरत काली सफ़ेद सी थी ज़िन्दगी बस एक तेरे मिलने से पहले.. सोचता हूँ तुझे देखता हूँ तुझे बहुत काम रहता है मुझे बहुत खाली सी थी ज़िन्दगी बस एक तेरे मिलने से पहले.. मुद्दत हो गयी है कि अब तो लौट भी आओ कि कहीं छोड़ न दे मुझे ये ज़िन्दगी बस एक तेरे मिलने से पहले।।