QUOTES ON #मिलन

#मिलन quotes

Trending | Latest
7 NOV 2020 AT 9:36

कैसे बतलाऊं तुमको मैं क्या क्या करता हूँ...

तन्हाई में आँखे बंद कर के मैं तुमको गढ़ता रहता हूँ,
खाली आंखों में मेरी तुमको, मैं रोज भरा करता हूँ!
बस इतना समझ लो, की मैं तुम्हारे लिए ही जीता हूँ,
कभी ख़्वाब, कभी फूल, कभी खार में तुमसे मिलता हूँ!
कैसे बतलाऊं तुमको मैं.....
रोज तुम्हारी यादों में, मैं तुम पर ग़ज़ल नई लिखता हूँ,
पहली ग़ज़ल आज भी, तेरी अमानत समझ के रखता हूँ!
तुमको पाने की हसरत में, मैं हर दर मन्नत करता हूँ,
कभी चाँद, कभी आब, कभी रेत पर नाम लिखता हूँ!
कैसे बतलाऊं तुमको मैं...
कैसे करूँगा मैं तुम्हे इजहार, ये रोज कवायद करता हूँ,
महफूज़ है खत इजहार का जो देने की ख्वाहिश रखता हूँ!
तुम हो इश्क़ पहला और तुमसे इश्क आखिरी करता हूँ!
कभी जीस्त, कभी दिल, कभी रूह से मोहब्बत करता हूँ!
कैसे बतलाऊं तुमको मैं.....
कभी पूछता हूँ तितली से, क्भी गुलाब से पूछता हूँ,
कभी तो मिलेगी इस जहाँ में, उम्मीद मैं यह रखता हूँ!
उम्र का तकाजा होने लगा, बालों में सफेदी आने लगी,
कभी बचपन, कभी जवानी, कभी बुढापे से रश्क करता हूँ!
कैसे बतलाऊं तुमको मैं... _राज सोनी

-


23 FEB 2019 AT 9:23

क्या हुआ जब बाबा नागार्जुन, कवि केदारनाथ अग्रवाल के गृह नगर बाँदा के कवि सम्मेलन में पहली बार गए?

केदारनाथ अग्रवाल ने जब बाबा के आगमन को 'अहोभाग्य' कहा, तो बाबा ने खुद को 'बड़भागी' क्यों कहा?

(अनुशीर्षक में पढ़ें)


-



खुदा ये कैसा है तेरे मिलन का खेल?
हर शख्स यहाँ मोहरा बन बैठा है,
चाल तेरा है और मोहब्बत को जेल।
इंसान अबतक समझ ना पाया,
मोहब्बत में बाज़ी,क्यों उनके हाथ न आया?
रानी बचाने के लिए,यहाँ हर सैनिक ने जान गवाया।

देख रहा है वो शिद्दत हमारी इन कुर्बानियों में,
सुर्ख आँखों से जब ये लहू टपक आया।
कुछ इस तरह ख़ुदा नें इंसानी फिदरत आजमाया।

मुख़ातिब हुआ इंसान जब उस खुदा,
हज़ारों शिक़वे गीले सुनने से पहले
खुदा ने इंसानों से बस एक सवाल कर आया...
मोहब्बत होती अगर दिल से तो,
आसानी से मिलती हैं जो बाज़ारों में,
उस तवायफ को मोहब्बत क्यों नही मिल पाया?

-


22 NOV 2018 AT 13:38

पी मोरे लौट आये मोरे अँगना
आज मोरे अँगना दिवाली रे
कह दो सखियन से मोरी
बीन लाये फूल बगियन से
आज मोरे पी जी की निकली सवारी रे

दिल भया कोई रेलगाड़ी सा
नहीं बीते है बाट जोती रैन
मोरे साजन की छवि बिराजे
न डालूँ मैं काजल अब इन नैन

रे सखी रे मोरी सेज़ सजाओ री
रे मोहे कँगन पायल पहनाओ री
बना दो मोहे दुल्हन पिया जी की
रे आज पीया मिलन की तैयारी री

सारे सरीर अँग-अँग मोरे
हलचल प्रेम उमँग
पी जी आये परदेस से
मैं तो भई मस्त मलंग

- साकेत गर्ग 'सागा'

-


25 JUL 2020 AT 16:16

कि ये "प्रेम" एक जोग है, कोई रोग नहीं,
पहले से लिखी तकदीर है, कोई संयोग नहीं।

ना देखा कभी मीरा ने प्रेम को, तो क्या हुआ,
"कृष्ण" नाम लेना ही मिलन है, वियोग नहीं।

-


16 JAN 2020 AT 6:58

लहर कहे ह्रास समय का
लोप रहे मिलन का
आतुर है हृदय
कूल पर आने को
मांगे क्षण भर श्रृंगार का!

-


17 JAN 2018 AT 13:38

प्रणयरात्रि

-


7 DEC 2019 AT 17:36

मेरी 'कविताओं' के इस छोर से उस छोर तक का मिलन
बस तब तक ही अधूरा है जब तक कि तुम इनमें एक लम्बी सी रेखा खींचते हुए इन लकीरों को 'तुम और मैं' से गुजरकर "हम" तक के होने का एहसास नहीं करा देती

-


7 OCT 2020 AT 11:12

कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात
भरे भौन मैं करत हैं, नैननु हीं सब बात

-


19 APR 2020 AT 8:21

कुछ थी तुम किस्मत में, कुछ थी तुम लकीरों में,
जब से तुम मिली हो मुझे, तब मैं मुकम्मल हुआ!

थोड़ी ख़्वाहिश मुझे थी, थोड़ी तलाश तुझे भी थी,
जिस मोड़ पर हम मिले, वो हमारा ठिकाना हुआ!

कंही कुछ तुमने भी कहा, कंही कुछ मेने भी सुना,
मिले जब अल्फ़ाज़ हमारे, प्यार का किस्सा हुआ!

कुछ मन्नत तू ने की, कुछ दर दर इबादत मैने भी की,
जब हुई दुआ कुबूल, फिर ये हसीन अफसाना हुआ!

कुछ ख़्वाब तू ने देखे, कुछ वैसी हसरतें मेरी भी थी,
कुदरत ने जब हामी भरी, तब हमारा मिलन हुआ!

कुछ मिले है इस जिंदगी में, बाकी मिलेंगे फिर कभी,
जब बनोगी चाँद आसमाँ का, तब मैं सितारा हुआ!

-