QUOTES ON #मासूमियत

#मासूमियत quotes

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14 MAY 2020 AT 21:53

हवा में जब घुला ज़हर यहां मुझे महक याद आई
तुम छोड़ गए ऐसे तब तुम्हारी एहमियत याद आई

फ़ासलों ने बताया मुझे तुम कितने करीब रहे मेरे
तुम्हारी ग़ज़लें पढ़कर तुम्हारी आदमियत याद आई

सुकून और आज़ादी पाने को छोड़ा था गांव मैंने
चकाचौंध में उलझकर तुम्हारी शहरियत याद आई

तन्हाइयों ने डेरा डाला पूछने वाला नहीं कोई मुझे
गुज़रे थे तुम इस दौर से तुम्हारी ख़ैरियत याद आई

बारहां मिले मुझे भटकाने वाले नशेमन ज़माने में
तहज़ीब से छूट कर ही तुम्हारी तरबियत याद आई

ढोंग छोड़ो जो कहना है खुल कर कहो न मेरे यारों
बातों में छली गई तो तुम्हारी मासूमियत याद आई

बिछड़ कर जाने वाले हमदम तुम्हारी गुनहगार हूँ मैं
हो कर लापता खुदसे तुम्हारी शख्सियत याद आई

साथ छोड़ गए हैं सब मुझे अपना कहने वाले मेरे
यूँही नहीं 'जोयस्ती' को तुम्हारी एहमियत याद आई

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26 MAY 2020 AT 16:08

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है

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29 APR 2019 AT 17:06

सस्ता सा कोई एक खिलौना
माँ मुझको लाकर दे दो ना
आईपैड, बार्बी और फ़ोन से
अब जी नहीं बहलता मेरा

इतने महँगे खिलौनों से
खेलने से भी मैं डरती हूँ
टूट ना जाएँ खेल खेल में
ऐसा सोचा करती हूँ

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

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6 DEC 2019 AT 10:42

अपनी मासूमियत बचाये रखना ऐ दोस्त
होठों पर मुस्कान सजाये रखना ऐ दोस्त

लोगों का काम है दूसरों की हँसी उड़ाना
सबसे रिश्ते बस निभाये रखना ऐ दोस्त

दूसरों के लिए ही हँसना और मुस्कुराना
अपने ग़मों को तू भुलाये रखना ऐ दोस्त

कोई किसी का नहीं कहता है "आरिफ़"
तू सबको अपना बनाये रखना ऐ दोस्त

रिश्ते हमेशा "कोरा काग़ज़" ही होते हैं
कलम दोस्ती की चलाये रखना ऐ दोस्त

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10 MAY 2021 AT 11:04

-----------bachhapn---------

बचपन की बात थी निराली...,,
उठ खिलौने की व्यवस्था करना
दोस्तों को इकट्ठा करना....
खेल का शुरू हो जाना,
बीच-बीच में झगड़े होती थी भारी,.
पर,,. कुछ देर बाद फिर हो जाती थी यारी.,
झगड़े की तो बात बच्चे भूल गए ,मिल शैतानियां की क्या? याद रहें...
जब होती homework की बारी,
अरे यार ये homework किसने बनाया?
मम्मी वज़ह थी, करना तो पड़ेगा आज, 2 घंटे सड़ना
पड़ेगा आज...
यह एक tension से वो छुटकारा पा खुश हो जाते...
बच्चे सारे
बच्चे अब बड़े हो गए , समझदार और जिम्मेदार हो गए, इकट्ठे दोस्त बिछड़ गए , कुछ सपने उनके अपने हो गए , जो बचपन अपनी थी धूमिल हो, पाराए हो गए..

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पहले मिलना होगा और फिर बिछड़ना होगा
प्यारी प्यारी बातों के बाद ही झगड़ना होगा

इस ज़माने में इतनी मासूमियत अच्छी नहीं
ज़माने की खातिर तुम्हें थोड़ा बिगड़ना होगा

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3 AUG 2019 AT 15:02

आज भी याद है मुझे उस चेहरे की
वो मासूमियत
वो मुस्कुराहट
वो नज़रे मानो
मानो मुझसे कुछ कह रही हो
आज भी याद मुझे वो एक चेहरा

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20 NOV 2020 AT 20:56

गुज़ारिश ,फर्माइश ना रखी जाए , तो अच्छा रहेगा,
जो कहना खुल कर कहा जाए ,तो अच्छा रहेगा।

जो ना रहे हम ज़िंदा , तुम बहुत पछताओगे,
गिले - शिकवे अभी किए जाएं , तो अच्छा रहेगा।

इत्तला है , तुम्हें होंगी हज़ार शिकायत हमसे,
मौक़ा हमें भी दिया जाए , तो अच्छा रहेगा।

हां सुनो, न रखना यादें मेरी , जेहन में अपने,
खतों को भी जला दिया जाए ,तो अच्छा रहेगा।

और जिस गली तुम जा रहे हो , गौर करना
यहां मुड़ कर ना आया जाए , तो अच्छा रहेगा।।

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10 FEB 2021 AT 9:59

तुम अपनी
इन आंखो को तुम बड़ी सच्ची😍 लगती हो

रूठ जाती हो जब बच्चो☹️ की तरह तुम कभी,
खुदा कसम बहुत खूबसूरत तब
मुझे लगती हो..😘🙈

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25 JAN 2021 AT 19:52

हमसे ऐसी भी क्या खता हुई
जो काबिले माफी नहीं।

तुमको देखा नहीं इतने दिनों से
क्या ये सजा काफी नहीं।

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