QUOTES ON #मासिकधर्म

#मासिकधर्म quotes

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14 AUG 2020 AT 12:06

( Period , माहवारी )

इस दर्द का अंदाज़ा कुछ लोग को है ....
बाकियों को आज महसूस कराना चाहता हूं!

दर्द से भी दर्दनाक ये दर्द है....
इसका एहसास मै हर मर्दों को कराना चाहता हूं!

ज़िंदे पे अगर आपकी कोई खाल खींचे....
तो किस भावना से गुजरेंगे मै ये आपसे पूछना चाहता हूं!

ऐसी ही भावनाओं से हर माह गुजरती है नारी....
मै इन्हीं के साथ एक हफ़्ते का दर्द उठाना चाहता हूं!

नारी ने इसी दर्द से दुनिया का आविष्कार किया है....
मै ये बात फिर से सबको याद दिलाना चाहता हूं!

इसी दर्द को हर माह , नो महीना सहकर एक मर्द को जन्म दिया है....
मै ये बात अपमानित करने वाले के मगज़ मै घुसाना चाहता हूं!

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29 JAN 2019 AT 10:40

मासिक धर्म (menstruation)
कोई शर्म नहीं

(कविता👇 पढियेगा ज़रूर)



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2 MAY 2021 AT 14:39

ईसा मसीह औरत नहीं थे, वरना मासिक धर्म
ग्यारह बरस की उमर से, उनको ठिठकाए ही रखता
देवालय के बाहर!
बेथलेहम और येरुशलम के बीच, कठिन सफर में उनके
हो जाते कई तो बलात्कार और उनके दुधमुँहे बच्चे
चालीस दिन और चालीस रातें जब काटते सड़क पर,
भूख से बिलबिलाकर, मरते एक-एक कर
ईसा को फुर्सत नहीं मिलती, सूली पर चढ़ जाने की भी
मरने की फुर्सत भी, कहाँ मिली सीता को
लव-कुश के तीरों के, लक्ष्य भेद तक !

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8 SEP 2020 AT 16:44

यह सुंदर काया कहाँ से लाओगे,
जब सरेआम अशुद्ध हमें बताओगे
ये लाल रंग हर स्त्री की है निशानी
सृष्टि सृजन में ईश्वर का वरदान है
ये माहवारी, जरा शर्म करो नहीं है
ये कोई बीमारी, नाम परम्परा का
और बंदिशों में जकड़ी है हर नारी
क्यों ये रिश्तें पड़ते तुझपर ही भारी
तोड़ बेड़ियाँ, अब तु नहीं है बेचारी
शर्म नहीं मासिक धर्म,पंच दिवसीय
सहन शक्ति की परीक्षा है ये हमारी

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20 MAR 2022 AT 14:53

मासिक धर्म
पढ़े अनुशीर्षक में
और बिना पढ़े प्रतिकिया ना दें!!
🙏🙏🙏🙏🙏

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9 MAY 2021 AT 16:49

हर प्रश्न का उत्तर..
(यह मन में सोच कर )
प्रश्न..
पुछ बैठी वो आज मां से
मां, मां दुर्गा मां भी स्त्री है,
फिर क्यों...?? हम लड़कियों के
माहवारी से इतना मुंह
बनाते हैं,लोग ....???

(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें..👇👇)

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5 AUG 2021 AT 10:23

सबसे भयंकर दर्द,,
चुप्प चाप होके सहना है;
घर में भी कोई "जान" न पाए,,
इसका बखूबी ध्यान रखना है...

ये असहनीय पीड़ा,चाहे "जान" भी ले ले,,
ध्यान रहे इसके बारे में;
किसी को पता भी नही चलना है...

पूरे दिन तड़पो,रात भर कराहो,,
पर हुआ क्या तुम्हें;
इसका असर चेहरे पर भी नही दिखना है...

मानो किसी पाप की सज़ा मिलती हर महीने
जो पुरुष को पता चले तो शर्म से तुम्हें मरना है

अजब दुनिया की गजब रीति,,,
इस पवित्रता को अपवित्र का नाम दिया;
सात दिन तक,न कर सकते पूजा पाठ,,
किचन से भी दूर रहना है...

पानी को भी हाथ न लगाओ,,
अछूत बनकर इन दिनों रहना है...
देवी दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती तब तुम नही,,
मानो कोई कुल्टा है...

दादी मम्मी चाची भाभी,सबने बस यही कहा है;
बेटी ये गंदगी निकलती बाहर,,,
इसके बारे में कहना मना है...

अभी तो दर्द बड़े है आने,,
ये तो उसके मुकाबले बहुत थोड़ा है;
वक्त के साथ आदत हो जानी,,
ये तो हर लड़की ने सहा है...

बदल न सकते मानसिकता किसी की,,
कुछ इस कदर उनमे ये भ्रम भरा है;
सहनशक्ति का नाम ही है स्त्री,बस सबने यही पढ़ा है...

सबने यही पढ़ा है,,बस सब सबने यही पढ़ा है...!!

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29 MAY 2020 AT 18:43

हूं जो अछूत मैं,
तो है अछूत तू भी, है तेरी दुनिया सारी
है नादान तू, नासमझ, बेवकूफ, स्वार्थी भी
नहीं समझता क्यों इस वरदान को,
है जानता इसे बीमारी
है जो यह रक्त बहता,
इसकी ही तो है तू निशानी
कहता है बहते जिस लाल रंग को अपवित्र तू
वहीं लाल रंग से है तेरा वजूद,
है उसी से तेरे वंश की कहानी

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6 MAY 2021 AT 18:13

अगर स्त्री इतनी ही अपवित्र है,
कि मासिक-धर्म के 7 दिनों के
दौरान मंदिर नहीं जा सकतीं ...
तो उसी स्त्री की कोख में 9 महीनें
पलकर जन्म लेने वाला
पुरुष पवित्र हो गया... कैसे .??

(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें..👇👇)

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