आ रहा मौसम बारिश का हवा चल रही हैं,
लग रहा हैं जैसे कि तुम आ रहें हो।
गाड़ियों से निकला धुआँ दिलो का आकार ले रहा हैं,
बादल ये रुक-रुककर मानो डकार ले रहा हैं,
स्याही में गहरापन आ रहा कलम की,
लग रहा हैं जैसे कि तुम आ रहें हो।
तुम काला-सफेद बादलो का चित्र लेकर आये हो,
ये सौंधी-सौंधी खुशबू वाला इत्र लेकर आये हो,
कौस-ए-कुजह की तबस्सुम पर इतरा रहें हो,
लग रहा हैं जैसे कि तुम आ रहें हो।
मेरा तस्सवुर हवा से तेज बहता था कभी,
वो गर्द-गुबार इमारतों पर रहता था कभी,
पर तुम जैसे इमारतों का मूँह धूला रहें हो,
लग रहा हैं जैसे कि तुम आ रहें हो।
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