माटी की काया तेरी,
है माटी तेरा रूह!
माटी की खुशबू तेरी,
है माटी का तू!
माटी ने तुझको लहू दिया है,
दे लहू अब माटी को तू!
माटी का कर्ज़ है तुझ पर,
कर कर्ज़ अदा अब तू!
मोल तो है तेरी माटी का,
खुद बेमोल है रे तू!
माटी से निकला है,
एक दिन मिल जायेगा माटी मे ही तू!
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