काल हूं, महाकाल भी मैं हूं,
करम धरम का ढाल भी मैं हूं।
कांपे मेरे नाम से जल थल,
विश्व हूं मैं, ब्रह्माण्ड भी मैं हूं।
रौद्र रूप विकराल मैं हूं,
मोक्ष मार्ग का द्वार भी मैं हूं।
भूतनाथ, शमशान भी मैं हूं,
देह में बसा तेरे, प्रान भी मैं हूं।
भोला मैं, विशाल भी मैं हूं,
रक्षक हूं तो संहार भी मैं हूं।
रक्त हूं मैं, निराकार मैं हूं,
देवाधी देव महादेव भी मैं हूं।
विष हूं मैं, विश्वनाथ भी मैं हूं,
सरल हूं मैं और जटिल भी मैं हूं।
शंकर, शंभू , शिवा शिवाय,
नाम अनंत दुख पार लगाए।
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