QUOTES ON #महबूब

#महबूब quotes

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3 SEP 2021 AT 21:57

टिकी हैं मोहल्ले की नज़रें वहीं पर
दरीचे पे गेसू सुखाना नहीं तुम।।

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19 NOV 2019 AT 10:56

मोहब्ब्त-नफ़रत सब एक साथ आए हैं,
मेरी महबूब के लिखे खत हाथ आए हैं...

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2 SEP 2020 AT 22:34

एक चाँद बादलों में छिप रहा है
एक चाँद मेरी नजरों के सामने दिख रहा है
उसको देखूँ कि तुझको निहारूँ...
यूँ तो पढ़ते रहते हैं सब तारीफ़ में
कशीदे उस चाँद के कि अब मैं उस चाँद की
तारीफ़ करूँ या तेरी नजरें उतारूँ...

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4 JUN 2020 AT 11:41

क्या एक ही चेहरा था ख़ुदा तेरे जहाँ में,
कोई और चेहरा मुझको नज़र क्यों नहीं आता!

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7 OCT 2020 AT 22:38

एक पुरा जवाना हो गया
मैं आशिक परवाना हो गया
वो महबूब थी किसी और की
जिसका मैं दीवाना हो गया।

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4 JUL 2020 AT 7:26

"जरूरी है क्या"

पास जो आ रही हो मेरे, कोई मजबूरी है क्या।
हमारा तुम्हारा मिलना, अभी जरूरी है क्या।

ठुकरा कर गयी थी यूँ कि, बेवफाई की हो मैंनें
अब रक़ीब ने कर ली, तुमसे बहुत दूरी है क्या।

कल कह रहा था कोई, देखा तेरे महबूब को गैर के साथ
इतना जो महक रही हो, बाहों में उसकी कस्तूरी है क्या।

कहा था तुमनें सरेआम कि, तुम मेरे काबिल नहीं हो
फिर से इश्क कर रही हो, दिल की भी मंजूरी है क्या।

पास बैठ मेरे गुफ़्तगू करो तुम, पहले तो नहीं हुआ यूँ कभी
कुछ प्यार की धुन सुन रहा हूँ, होंठों पे तेरी बांसुरी है क्या।

सीखा दिया था मैंनें इस दिल को, सलीका तेरे बगैर जीने का
अब चाहती हो मुकम्मल करना, कहानी मेरी अधूरी है क्या।

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18 APR 2021 AT 12:35

पता नहीं वो‌‌ कौन‌ लोग थे जो अपने महबूब के लिए पूरी दुनिया से लड‌‌ जाते थे
इधर तो महबूब से ही लड़ाई खत्म नहीं होती।।
😂😂😂😂

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14 MAR 2019 AT 14:52

'' झटका कुछ इस तरह दिया
महबूब ने अपनी जुल्फों को ,,

इकट्ठे 7 जुएँ ?

उसके दामन में आ गिरे 😞😊

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कभी छत से कभी खिड़की से कभी
पेड़ो की ओट से, हर रोज तुम्हें निहारती हैं!

कभी मुखडा़ कभी माथें की बिंदिया में
तो कभी दुप्पटे में चार-चांद लगाती हैं!

कभी पूर्ण, कभी अर्धं हर घटते बढ़ते
रुप को तुम्हारें अच्छे से पहचानती हैं!

बिखरती चांदनी दूध सी तुम्हारी, कभी
धुंधलाती कोहरें सी आँखो में सजाती हैं!

ईंद,कभी दूज़, कभी ती़ज तो कभी करवांचौथ
का चांद, ये हर जगह अपनी आभा बिखराती हैं !



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15 JUL 2020 AT 11:59

वो ...
प्यार ढूंढ़ती हूंँ

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