Va$u(वृष्टि) T¡w@r¡ 14 JAN 2021 AT 20:04 सनो न...ख़्वार-ए-अतीत है तो क्या हुआइश्क़ में फिर से जिन्दग़ी गुलज़ार करते हैं..तुम्हें शिकायतें जो मुझसे बेशूमार हैंआओ न बैठकर फ़ुरसत में बातें हज़ार करते हैं..इक़रार करो या इंकार है तेरी रज़ाहम तो तब भी तुमसे इश्क़-ए-इज़्हार करते हैं..वफ़ाई में हसरतें सारी करके दफ़नचलो न इश्क़ में फिर से जिन्दग़ी बेज़ार करते हैं..❤️❤️❤️ - Va$u(वृष्टि) T¡w@r¡ 29 MAY 2021 AT 20:27 सुनो न..हो इजाज़त इतनी ही गर आज़ मुझकोहमीं उनकी आंखों के कम–नसीब वो ख़्वाब चाहते हैं..ख़ैर ओ ख़लिश इतनी सी है दिल में चश्म-ओ-चिराग हम वो महताब चाहते हैं..वफाओं से बसर कर शिद्दत–ए–मोहब्बत का सफ़रमोहब्बत में दिल का इज़्तिराब चाहते हैं..ऐ ख़ुदा और कितना करोगे जब्र हम परअब कुछ देर जो छाया दे वो अस्बाब चाहते हैं..मत पूछो हमसे ओ मुर्शीद कि हम क्या चाहते हैं मातम–ए–इश्क़ में हर बार अज़ाब ही अज़ाब चाहते हैं..❤️❤️❤️ - Va$u(वृष्टि) T¡w@r¡ 30 DEC 2020 AT 20:00 सुनो न...मिरे महबूब तुमसे है करनी बेशुमार गुफ़्तगू..तू क़बूल तो कर इश्क़ मेरा इबादत-ए-ख़ुदा की तरह..अब इस दिल को तुमसे मिलने कि है जुस्तुजू..मुक़म्मल तो हो जाओ महफ़िल में महताब की तरह..❤️❤️❤️ - Neta ji 9 MAY 2021 AT 10:58 मेरा चाँद 🌙 अभी नाराज़ है मुझसे,जरूर उसके आफ़ताब ने साज़िश की है...!! #मेरा_चाँद 🌙 - Subir Deb Nath 6 FEB 2018 AT 17:54 सोच रहे हैं शेर क्या लिखें ,आफताब लिखें या महताब लिखें !चश्मे-आब तो बहुत लिखे,चलो अब ज़रा सा इताब लिखें !! - Komal Rawat 3 SEP 2018 AT 20:06 हर शब यूँ महताब की दरियादिली में भी,बिन तेरे हर साँस एक सज़ा सी होती हैं...!! - REKIBUDDIN AHMED 18 JUN 2020 AT 15:05 मैंने तो उसे महताब समझ लिया उसकी एक झलक देख कर, फ़िजाये गुज़री तो आसमानी रोशनदान मालूम हुआ उसकी बहाव देख कर... - bhawna saini 1 MAY 2021 AT 9:46 महताब ऐसा हो, जो मुझे समझने भर का हुनर रखेमेरे खर्चे मुझे कैसे उठाने है ये मैं खुद जानती हू - Poet M.K. 29 MAY 2020 AT 12:29 तेरा और मेरा मिलना तो महज एक ख्वाब है...मिले भी तो कैसे मैं आफताब और तूमहताब है... - REKIBUDDIN AHMED 15 JUN 2020 AT 16:14 सोचता हूं उसकी वो कातिलाना अदाएं लिख दु कागज के किसी पन्ने पे सियाही से झूठा ही सही फिर खयाल आया कि अगर ये धड़कने बेजुबान हो जाता है उसकी एक झलक देख कर, तो उस बेजुबान कागज के पन्नों पर वो महताब क्या क़हर ढायेगी अपनी झलकियां बिखेर कर... -