🕌 मंदिर यां मस्जि🕍
ना हिन्दू का हूं मैं ना हूं मुसलमान का....
इंसान हूं मैं हूं इंसान का....
चलो आज ये मसला निपटाए,
आधी ज़मीन में मंदिर और आधी पे मस्जिद बनाए।
कभी तुम भी राम नाम लेके हाथ जोर्ड लेना
और हम भी मस्जिद में अल्हा की नमाज़ पढ़ लिया करेंगे।
कभी तुम हाथ जोड़ दिया करना तो कभी हम भी सजदा में सर झुका दिया करेंगे।
कभी तुम राम राम कहना तो कभी हम भी अ-सलlम वालेकुम कहेंगे।
कभी तुम दीपावली में अली धुंड लेना,
तो हम भी रमज़ान में राम से मिलेंगे।
ना रामायण में लिखा हे की अल्लहा को मान्ना गुनाह है।
और जो राम से नफ़रत सिखाए ना इतना छोटा ही खुदा है।
अल्लहा और राम तो यूं ही बदनाम है,
हिन्दू और मुसलमान तो तुम्हारी बनाई पहचान है।
तो आज आगे बर्डो और कहो
ना हिन्दू का हूं मैं ना हूं मुसलमान का,
इंसान हूं मैं और हूं इंसान का।
निकिता शर्मा ।✍
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