QUOTES ON #मर्म

#मर्म quotes

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23 DEC 2022 AT 8:40

" इज़ाजत "

एक रचना मेरी प्यारी-प्यारी,
कब तक रहेगी सबसे न्यारी,
उससे है वास्तविक अनुभव की यारी,
इज़ाजत मिले तो प्रकाशित हो बेचारी !

रचना अनुशीर्षक में पढ़ें !

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24 JAN 2019 AT 21:18











मैं कहने वाला हूँ तुम से कुछ, ज़रा कान लगाकर सुनना ना
मैं करने वाला हूँ इक़रार अब, ज़रा दिल लगाकर सुनना ना
- साकेत गर्ग 'सागा'

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15 MAR 2021 AT 6:27

शब्दों के मर्म तक भाव के साथ जुड़कर ही पहुँचा जा सकता है.

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19 AUG 2018 AT 10:59

काश वो केवल रेखांकन होते,
हमने उनमें रंग भरे न होते,
तो हृदय यूं आज न रोता,
टूटे स्वप्न आंखों में न चुभते,

मर्म धरा का समझ गए होते,
यूं भावों का संग्रहण न करते,
हृदय में न कोई आस जगाते,
तो यूं पीड़ा में आज न होते।

हर पल बुनते रहते ख्वाब,
और जोड़ते उनसे अपने भाव,
कभी खुशी तो कभी ग़म अपार,
जान गए होते सुख दुख का सार,
तो यूं मकड़ी सा उलझे न होते।

चित्त को देना अपने विराम,
नहीं हम जैसे मानुष का काम,
ये काम कठिन समझ गए जो होते,
तो हम यूं धरती पर विचरण कर रहे न होते।

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संगदिल में अलंकृत दर्प से, हम-मर्म ढूढ़ लाती हूँ।
जीकर हकीकत जिंदगी का, स्वप्न में डूब जाती हूँ।
श्याम तू ही बता, तू हर उठी-लहर का पतवार है-
मयस्सर नहीं खुशी, फिर भी खुशी से झूम जाती हूँ।।

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6 JAN 2019 AT 22:07

"‌कभी रंगी, कभी बेरंगी,
तेरे 'ह्रदय' का 'मर्म' तू ही जाने"..
06.01.019

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25 SEP 2019 AT 8:43

पहले बातों का मर्म समझो तब गर्म हो

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अपना किया कराया है,
सबने मूल्य चुकाया है.!

सबमें अपना अक्स दिखे,
किसको कहूँ पराया है..!

प्रेम ही शाश्वत रीति यहां,
दिया है जिसने पाया है..!

घृणा दम्भ में जो उलझा,
उसने सर्वस्व गंवाया है..!

स्वतंत्र सरलता धारण कर,
धर्म ने मर्म बताया है..!

सिद्धार्थ मिश्र

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11 JUN 2020 AT 15:00

आत्मिक प्रेम

आत्मीयता से भरा
दैहिकता से ऊपर
शारिरिक सौष्ठव से परे
हृद में पंक भांति पल्लवित..

यथा,
मेरे शृंगार का औचित्य क्या..??

स्वयं को समर्पित करना
प्रेम में समर्पण ढूंढ़ना
या फिर,
अपने प्रेमी द्वारा कवित्त
दृग निरंजना का मर्म
खोजना..!

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12 SEP 2017 AT 9:52

दर्द अच्छे लगते मुझे,
मर्म को,तुम पास जो आते हो ..

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