QUOTES ON #मयस्सर

#मयस्सर quotes

Trending | Latest
9 APR 2019 AT 18:17

Paid Content

-


18 MAR 2020 AT 21:04

सभी को मयस्सर नहीं ज़िन्दगी
करती अब असर नहीं ज़िन्दगी

कौई ज़िन्दा है कौई मर गया है
करती अब कहर नहीं ज़िन्दगी

आज मिट्टी में मिला ही देता हूँ
लगती अब ज़हर नहीं ज़िन्दगी

तुम "आरिफ़" हो तुम अच्छे हो
रुकती इक पहर नहीं ज़िन्दगी

"कोरा काग़ज़" मान बैठे हैं सब
कलम का शहर नहीं ज़िन्दगी

-


1 MAR 2021 AT 22:07

Paid Content

-



देखते हैं तस्वीर मेरा वो हर दफा क्या पता
आगाज़ मालूम पड़ा उसे है वफ़ा क्या पता

मयस्सर लिखा भी है या है ये वफ़ा-ए-दस्तूर
मासूमियत भरपूर ना है फ़लसफ़ा क्या पता

-


9 APR 2019 AT 18:32

मयस्सर उन्हें भी हो जाए ऐ खुदा
दुनिया में जो हैं बेबश और लाचार
सुन लो न गुज़ारिश है मेरी दिल से
उनके हिस्से में दे दो थोडा सा प्यार

9/30

-


17 APR 2019 AT 9:08

सिमट आई कहकशाँ मेरे दामन में तेरे ख्वाब से,
हाँ तलाश लिया दिल ने तुझे धड़कन बेहिसाब से,

डूब जाऊँ मैं जिस लम्हे में बिना तेरी इजाज़त के
ढूँढ लाई वो एक कतरा तेरे चश्मे नम के आब से,

अदना सी ख्वाहिशें लिए मिले थे रहगुज़र पे हम
हैरान हूँ आज तलक तेरे सवाल और जवाब से,

एक वक्त आया था हसरतों के‌ आसमां छूने का
वरना मुतमईन थे हम जमीं पे सैर-ए-महताब से !

मुख़्तसर इश्क़ को मुकम्मल वक्त मयस्सर न हुआ
दिल-ए-अरमान कम न थे 'दीप' तेरे आफताब से !

-


2 APR 2019 AT 8:40

अब इश्क मयस्सर नही रहा मेरा ,
खुद मोहब्बत से तारू़फ हो आई हूं ।

मोहब्बत ने मेरे खातिर
कुछ नजराने भेजे है ,
अौर कुछ तराने साथ लाई हूं ॥

-


3 JUL 2019 AT 3:41

वो आकर मेरे करीब मुझमें घर कर गया,
वीरान बस्ती थी मैं मुझको शहर कर गया,

थमी हुई थी ज़िंदगी यूँ बेबस किनारे सी,
छूकर निगाहों से मुझको लहर कर गया,

तलाश जुगनुओं की जब भी बारहां रही,
अंधेरी रातों को मेरी वो दोपहर कर गया,

मेरी तिश्नगी करीब उनके आकर ठहर गई,
दबी हसरतों को कामिल बेसबर कर गया,

ख़्वाहिशों का सफर ऐ 'दीप' मुकर्रर करके
मेरी बेचैनियों को इश्क़ मयस्सर कर गया !

-


9 APR 2019 AT 18:30

पल भर भी नींद मुझको मयस्सर नहीं हुई
सदियों से उसकी याद में सोई नहीं हूँ मैं

चाहा मिले सुकून तो सो जाएं चैन से
किस्मत से मांग कर इसे लाई नहीं हूँ मैं

चलती हूँ बेहिसाब तो पहुंची हूँ इस जगह
निभती चली गई है निभाई नहीं हूँ मैं

दीवार छत मिलाया और बनाया है मकान
सदियों से खाली घर है बसाई नहीं हूँ मैं

जब भी मिले हो मैंने तबस्सुम सजा लिया
आंसू के गीत तुमको सुनाई नहीं हूँ मैं

@सरोज यादव 'सरु'

-


19 MAR 2020 AT 9:44




यहाँ सभी को मयस्सर नहीं होती ये जिन्दगी
मैं तो जिन्दा हूँ बस जीने की रश्म निभाने के लिए

खौफ में मेरी नज़रें खुद अहसास भी भुला बैठे
आज जिस्म मेरा बुत जैसा सिर्फ दिखाने के लिए

देखता जिधर अब मैं बस बदकिस्मती के साये हैं
आंचल का सहारा न मिला अश्क छिपाने के लिए

क्या बात करूँ कांटों की फूलों में भी चुभन देखी
ताउम्र मुझे जख्म मिले इस दिल से लगाने के लिए

इश्क़ भी नद़ारत है महज़ जरूरत यहाँ है जिस्मों की
अल्फाज मेरे जिन्दा हैं तुमको ये बात बताने के लिए

यहाँ सभी को मयस्सर नहीं होती ये जिंदगी
मैं तो जिन्दा हूँ बस जीने की रस्म निभाने के लिए


-