पानी... मय हो गया है
अब बहना कितना असहाय हो गया है,
अब दुश्मन दोस्त से लगते हैं और
मुझे ख़ुद से ही भय हो गया है,
रात हुई... अभी तक ना आये
जुगनुओं का समय हो गया है,
चाहूँ यूँ ही ख़ैर कोई पूछे
बड़ा व्याकुल ह्र्दय हो गया है,
देख असीमित ख़्वाबों के काफ़िले
रस्ता विस्मय हो गया है,
कहे कहाँ तक जाना है इस जीवन सफ़र में
यह तो पहले ही तय हो गया है,
..... "पानी" मय हो गया है
अब संभलना कितना असहाय हो गया है!!
-