मत पूछ लख्त-ए-जिगर मुझ को क्या क्या चाहिए,
मुझे जीने के लिए बस सिर्फ और सिर्फ तुम चाहिए।
कहने को है दुनियां हमारी और सब अपने से है मगर,
थोड़ी मन्नत, थोड़ी जन्नत बाकी तेरी कायनात चाहिए!
पड़े जरूरत तो करे याद सब अपनी जरूरत को मगर,
थोड़ी शरारत, थोड़ी हरारत, बाकी तेरी इबारत चाहिए।
रह कर हम अपनो की बीच तो भी अकेले से होते है मगर,
थोड़ी जिंदगी, थोड़ी बंदगी, बाकी तेरी नुमाइंदगी चाहिए।
प्यार जताने वाले भी कम नहीं सब अपने मतलब से मगर,
थोड़ी कशिश, थोड़ी ख्वाहिश, बाकी तेरे एहसास चाहिए!
होने को तो वक़्ती तौर के दोस्त अहबाब है मतलब के मगर,
थोड़ी सोहबत, थोड़ी इजाजत, बाकी तेरी मोहब्बत चाहिए।
करते गुफ्तगू दिलकश अंदाज़ में कुछ हासिल करने को मगर,
थोड़ी सदाकत, थोड़ी लियाकत, बाकी तेरी नजाकत चाहिए।
सब के अपने अपने "राज" है, खुद को अव्वल बतलाते है मगर, _राज सोनी
थोड़ी खासियत, थोड़ी कैफियत बाकी तेरी शख्सियत चाहिए।
-