QUOTES ON #मन_की_कलम_से

#मन_की_कलम_से quotes

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10 JUL 2020 AT 18:45

# "मन के कोलाहल का एकमात्र प्रमाण हैं, 'शब्द'..!"¥

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15 APR 2021 AT 15:27

मन आंखों से बहता है

👇🏻👇🏻👇🏻 जी पढ़िए

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6 MAR 2020 AT 7:47

बेजान राहों की
तंग गलियों में
किसी मोड़ पर
यूं चलते चलते
थक हार कर
रुक जाने को मन करता है।
आजादी के इस बड़े गगन से
लौटकर फ़िर अपने घोसले में,
जाने को मन करता है।

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16 SEP 2020 AT 19:14

है परेशानियां मगर
मन की देहरी पर
दीप जलाए बैठी हूँ
आलम उदासी का है
आशाओं से जगमग
थाल सजाये बैठी हूँ ।।

पथ सज्जित शुलों से
अंतस के आँगन में
फूल सजाये बैठी हूँ
चहूँ ओर तमस घना
उषा के आगमन में
नेह समाये बैठी हूँ ।।

क्षण-क्षण में विरह है
ह्रदय तल में फिर भी
एक साज लिये बैठी हूँ
बेरंग है मन का आँगन
रंगोली सजाये बैठी हूँ ।।




















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11 JAN 2020 AT 10:37

कलम का एक सिरा
मेरे मन से जुड़ा हुआ है
विचारों की स्याही बहते ही
ले लेती है कविता सा रुप

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16 JUN 2020 AT 9:31

सवेरे-सवेरे....!

वाटिका के सारे पुष्पों पर,
कान्ह-कान्ह मैं लिख आई,
मन के सारे अनुभावों को,
तुमसे व्यक्त मैं कर आई...!

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25 AUG 2018 AT 19:23

लब्ज़ झूठे, हर्फ झूठे
चेहरे पर चेहरे अनेक
चीखती खामोशियां...
गमगीन इन नैनो को
मन की वेदना को
पढ़ पाओ तो बात बने ....!!

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22 JAN 2021 AT 16:04

मन में कुछ कुछ किंचित था,
पर मन हीं मन में सब सिंचित था।
कहते किससे वो भोलापन,
जब बिना सुने हीं मन सबका,
अपने ग़म में हीं चिंतित था।

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12 JAN 2021 AT 20:19

जिसके भीतर तुम महीनों रहे,
उस - सी की हीं आबरू पर ,
क्यूं वार करते हो,
कभी सोंचा नहीं तुमने,
ऐसा करके उसकी तरबियत शर्मसार करते हो,
जो ये यूं जान लेती वो,
तुम्हारी जान लेती वो,
उसकी सारी सहनशीलता का,
ये पलटवार करते हो।।

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4 FEB 2021 AT 19:52

भोर हो या दुपहरी हो,
लहरों से बातें करती थी,
यारी उसकी कुछ गहरी थी,
इक अनजानी-सी लहर उठी,
उस चंचल मन के तीरे से,
वो चली तो ये ना जान सकी,
कोई साथ हो लिया धीरे से।।

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