दिन मेरे कटते नही और नया साल आ जाता है जब तुझे सोचता हूँ दिल मे मलाल आ जाता है कभी कभी मन करता है मार डालू मैं खुद को फिर जहन में माँ-बाप का ख्याल आ जाता है
मत करो बदनाम मुझे कहते कहते थक गया हूँ मैं दर्द अपनी जिंदगी का सहते सहते थक गया हूँ मैं कोई तो जाकर खुदवा दो श्मशान में मेरी कब्र को अपने बदन की कब्र में रहते रहते थक गया हूँ मैं