आमदनी अठन्नी और खरचा रुपइया है
ना यहाँ कोई बहन ना ही कोई भईया है
स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हैं हम
पर गंदी तो हमारी सबकी गंगा मईया है
बेवजह धर्म के नाम पर लड़वाना ठीक नहीं
किसी की वो माँ तो किसी के लिए गईया है
दूसरे की इज्ज़त को मिट्टी में मिलाना चाहा
जब की ख़ुद ही मंझधार में सबकी नईया है
कौन छोटा और कौन बड़ा होता है साहब
अपनी कसमों में मार रखी हमनें मईया है
ज़िन्दगी और बन्दगी दोनों ही भूल गये सब
इन्सान की फ़ितरत ही एक भूलभुलइया है
किसी को किसी से कोई मतलब नहीं यहाँ
जाम हो चुका ज़िन्दगी की गाड़ी का पइया है
औरत की इज्ज़त को ही ना समझा "आरिफ़"
तब फ़िर क्या कान्हा और क्या कनहईया है
"कोरे कागज़" पर लिखते जा रहें है सभी पाप
कोई नही बचेगा भगवान बहुत बड़ा बजईया है
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