मजे हो रहे है। बस पापा भाई के कमाई पर,ना पढ़ने की टेशन,ना भविष्य की टेशन, न कुछ करना। खुला खर्चा, खाना, पीना ,सोना और घुमना। जो मन करे वो करो। वहाँ जिन्दगी,स्वाद आ गया।
वक़्त इन्सान के बड़े मज़े लेता है कभी आगे दौड़ता है तो कभी पीछे रेंगता है इन्सान अगर मिलाने की कोशिश करता है तो वक़्त अजीब सा छल करता है वो संगी साथियों की फितरत ही बदल देता है बस जो इन्सान ऐसे में वक़्त को साध लेता है वो दुनिया से आगे निकल जाता है नहीं तो वक़्त इन्सान के बड़े मज़े लेता है...
अब थोड़ी खुशी भी है गम भी है न मेरा कही नफा है नुकसान भी थोड़ा कम है अब जो तुम मिल गये हो तो बिछोह जरा कम है पुछो कभी जो हाल हमारा तो कहते कि मजे में हम है...!!!