QUOTES ON #मगरूर

#मगरूर quotes

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29 JAN 2021 AT 18:29

चलो! इस मुहब्बत के खेल से तुम्हें आजाद करते है,
'मगरूर'होने का इल्ज़ाम अब अपने नाम करते है।।

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12 JUN 2019 AT 13:53

जब तुमने जाने का फैसला कर लिया था
तब हमने तुम्हे रोकने की एक बार भी
कोशिश ना की।।।
हमे मालूम था तुम कितने मजबूर हो
मगर मगरूर नही हो ।।।
तुम्हारा मासूम सा चेहरा जाते हुए
अपने दर्द की दास्ताँ बयान कर गया
जैसे चेहरे पे दर्द उतर गया
इसलिए हमने कोशिश ना की।।।

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19 APR 2020 AT 11:03

सजदा उस प्यार का फिर क्या करना...
के हो मगरूर जो मोतबर (एतबार के काबिल )ना हो।
क्यो करना ईश्क का इजहार उस सितमगर से...
जो बुला के गैर को महफिल सजाया करता हो।
क्यों ताल्लुक का ये बोझ उठाए फिरना..
कदम-कदम पे जहाँ दिल जलाना पडता हो।

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20 OCT 2017 AT 13:04

अपनी चाहत के अंदाज से इस कदर तू मुझे नूर करदे....
की तुझसे कभी बिछड़ ना सकूँ , इतना तू मगरूर करदे💏

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कुछ मशरूफ हों गये तुम
वक्त के साथ.............
और हम भी ‌मगरूर हों ‌गये‌
बात इतनी सी रही......
अब ये इतवार, इतवार ना रहा !

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9 NOV 2019 AT 20:30

सोचो अगर हम साथ होते तो कैसा होता ...
अलसाई सी सर्दियों की सुबह होती ,मेरे हाथों में चाय के दो प्याले होते और मेरी जुल्फों से टपकती पानी की बूंदे तुम्हारे चेहरे को भिगोती तुम कनखियों से मुझे ताकते ..

सोचो अगर ... तुम्हें बाहर जाने की जल्दी होती और तुम्हारे कुर्ते का बटन टूट जाता मैं भुनगभुनाती सी उचक उचक कर तुम्हारे कुर्ते के बटन टाँकती और तुम झुक कर मेरे माथे पर एक बोसा रख देते तब मैं घूर के तुम्हें देखती ...

सोचो अगर ..
हम घूमने जा रहे होते और तुम्हे किसी काम से अचानक जाना पड़ता है मैं गुस्से में तुम्हारी गाड़ी की चाबी छिपा देती तुम मुझे मनाते मैं आंखें दिखाती और फिर डबडबाई आंखों से चाबी तुम्हें थमा देती ...

सोचो अगर ....
एक दिन अचानक मैं तुम्हें छोड़कर तुमसे बहुत दूर चली जाती फिर एक दिन नन्हीं गौरैया बन कर तुमसे मिलने तुम्हारी खिड़की पर आती और जोर जोर से तुम्हें पुकारती तुम्हें मेरे वहां होने का एहसास तो होता मगर मै नही दिखती तुम बेचैन होकर खिड़की तक आते और मुझे देख कर भी मुझे ना पहचान कर वापस मुड़ जाते..

सोचो अगर...
मगर नही .... रहने दो...
तुम कहाँ सोच पाओगे ये अल्फाज ए ख्यालात.. जिनमे,
मैं एक जिंदगी जी लेती हूँ साथ तुम्हारे ...
तुम तो मगरूर हो अपनी ही परिभाषाओं में..

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2 FEB 2021 AT 19:08

चले जाएंगे बहुत दूर हम
होके मगर मजबूर हम

असंभव है मिलाप हमारा
हैं इतने मगरूर हम

फिक्र न करें तनहा न होंगे
शहर में हैं इतने मशहूर हम

सजा तुम्हारी मंजूर होगी
भले होंगे क्यों न बेकसूर हम

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29 JUL 2020 AT 1:16

तुमसे दूर ज़रूर हूं ।
लेकिन मगरूर नहीं हूं ।
जो तुम्हें दिल से निकाल दूं ।
और तुम्हारी हर निशानी मिटा दूं ।

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13 AUG 2020 AT 22:42

बड़ी मगरूरियत है हमारी शख्सियत में जनाब..
हमे यूँ बार-बार आज़माया ना करें..

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25 MAR 2020 AT 13:27

मगरूरियत से दुनिया में फिरता रहा इनसान
कि कुदरती ताकत ने इसे घर में कैद कर दिया

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