🚶भटकते-भटकते हीं सही🏃
पर जब घर छोड़ा था तब साथ कोई नहीं था
खाने को पैसे नही थे, रहने को घर नहीं था🏨
काम कोइ दिया नहीं , क्योकिं कुछ करने को आता नहीं था
मन घबराता था, पर हौसला छोटा नहीं था🚔
उम्मीद थी🚶चलते-चलते🏃 मिल हि जाएगी एक-दिन मंजिल
इसलिए निरंतर चलता रहा🚶
कदमे थक रहे थे , मन छोटा हो रहा था😞
पर सपने उड़ान भरने को तैयार था ।
कितनी बार pre, mains or interview में छटता रहा
पर न जाने कब चलते-चलते , कदमों मे आ ही गई मंजिल
ये पता ही नहीं चला😊👉🚔🚓🚓🚔🚓🚔🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🚔IAS topper🚓
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