QUOTES ON #मंज़िल

#मंज़िल quotes

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6 OCT 2020 AT 11:41

राह एक मगर मंज़िल अलग थी या मंज़िल एक राहें अलग थी
दिखा जो मुझे उसे भी वही, नज़रिया एक फ़क़त निगाहें अलग थी

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12 APR 2020 AT 16:38

इस मुग़ालते में नहीं मैं
मुझे शिखर की नहीं फ़क़त साहिल की तलाश है

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4 OCT 2021 AT 8:51

देख ली ज़िन्दगी.. हमनें घूम कर ज़माने भर
सबके हाथों में तीर थे.. और हम ही थे निशाने पर,
किसी काम ना आये मरहम सारे उम्मीदों के
के और भी गहरा गए.. ज़ख़्म-ए-दिल-ओ-जाँ छुपाने पर,

साग़र से मिलने निकली तो थी नदी अरमानों की
पऱ वक़्त ने खड़े कर दिये.. बांध से हर मुहाने पर,
जाने कैसी है यह.. मुहब्बत की राह-ए-गुज़र
के क्यूँ मंज़िल बदलती नहीं.. रास्ते बदल जाने पर,

बहुत ऊँचा उड़के.. लौट आये तेरे तसब्बुर के परिंदे सभी
आजकल बहुत चहल-पहल सी है..मेरे आशियानें पर,



वैसे तो.. ख़्वाइशों की
मन में इक गुदगुदी सी है
पऱ.. कमबख़्त हम क्या करें.. अंकुश सा है मुस्कुराने पऱ..!

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26 MAR 2018 AT 18:06

ना जाने ...मंज़िल कहाँ होगी ?
जिसे ढूंढता हूँ दर-ब-दर ..🚶
ना जाने दिल...वो कहाँ होगी?

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17 JAN 2020 AT 14:51

क़भी होठों पे हँसी क़भी आँसु उतर जायेगा
यूँही ज़िन्दगी कट जायेगी यह वक़्त गुज़र जायेगा,

यूँ चेहरा उतार के क्यूँ बैठा है मुसाफ़िर
रख ज़िगर इक दिन यह सफऱ निखर जायेगा,

सीखा बस इतना ही पानी-फ़ूल-पत्तों से
जो जितना कोमल है वो उतना ही बिखर जायेगा,

जिसका ओहदा छोटा है सबसे मख़दूम,
उसे हर कोई पहचाननें से मुकर जायेगा,

क़भी होठों पे हँसी क़भी आँसु उतर जायेगा
यूँही ज़िन्दगी कट जायेगी यह वक़्त गुज़र जायेगा..!

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16 DEC 2021 AT 7:04

उदास ना हो मन मेरे... जाने दे
परिंदे तो हज़ार उड़ते हैं
पऱ यह ख़्वाबों का आसमां.. है किसी का नहीं,

मैंने देखा है बादलों का सफ़र भी
उनकी ख़्वाइशों का भी एक दायरा है
है मंजिल पे पहुँचता कारवाँ.. किसी का नहीं,

इक़ मिथ्या छायापथ सा है नयनों में
सब जल रहे हैं पराये मोहः की अग्नि में
है अपने लिए बहा अश्रु यहाँ.. किसी का नहीं,

इस ज़िन्दगी के चलचित्र को निहारता
इक़ तू ही नहीं है मूक दर्शक सा
तलाश जिस सुकूँ बख़्श की है.. वो है तलिस्मयी जहाँ... किसी का नहीं,

चल.. क़दम बड़ा.. मुस्कुरा
रख जिजीविषा मृत्यु पर्यन्त
आख़िर.. यह ख़ुदा भी है पासबाँ किसी का नहीं,
उदास ना हो मन मेरे... जाने दे ना!

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12 APR 2020 AT 9:49

🚶भटकते-भटकते हीं सही🏃
पर जब घर छोड़ा था तब साथ कोई नहीं था
खाने को पैसे नही थे, रहने को घर नहीं था🏨
काम कोइ दिया नहीं , क्योकिं कुछ करने को आता नहीं था
मन घबराता था, पर हौसला छोटा नहीं था🚔
उम्मीद थी🚶चलते-चलते🏃 मिल हि जाएगी एक-दिन मंजिल
इसलिए निरंतर चलता रहा🚶
कदमे थक रहे थे , मन छोटा हो रहा था😞
पर सपने उड़ान भरने को तैयार था ।
कितनी बार pre, mains or interview में छटता रहा
पर न जाने कब चलते-चलते , कदमों मे आ ही गई मंजिल
ये पता ही नहीं चला😊👉🚔🚓🚓🚔🚓🚔🇮🇳🇮🇳🇮🇳

🚔IAS topper🚓

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14 MAR 2020 AT 15:06

"मुहब्बत के सफऱ में
मंज़िल नहीं होती,
बस रास्ते ही रास्ते हैं..,

औऱ वो
कहीं भी नहीं मिलता
जिसे हम तलाशते हैं "

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4 JUL 2021 AT 20:20

गुज़र गये जो मुझे अनदेखा करके
इक़ दिन वो काफ़िले साथ में आएंगे,
उम्मीद का दामन क्यूँ मैं छोड़ूँ
छुटे हाथ.. फिऱ हाथ में आएंगे,
कब तक मंद रहेंगे स्वप्नों के जुगनु
वो फिऱ.. लौट के रात में आएंगे,

सूखा शज़र हताश नहीं है
कहे.. नए अंकुर फिऱ शाख में आएंगे,

अभी मेघ मस्त हैं अपनी धुन में
यह कहाँ.. मेरी बात में आएंगे,
पऱ बरसना तो उन्हें होगा ही
जो बादल.. बरसात में आएंगे!

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12 JUL 2020 AT 21:07

अजीब है मेरा अकेलापन,
ना अधूरा हूँ ना मैं पूरा हूँ,
बस एक याद हूं और उसके लिए खामोश हूँ...

अजीब है मेरी मंज़िल
ना राहों में हूँ ना मैं मझधार में हूँ,
बस चलता हूं और उसके इंतज़ार में हूँ...

बड़ी अज़ीब है मेरी ज़िंदगी
ना खुश हूँ ना मैं उदास हूँ,
बस खाली हूं और उसके इंतज़ार में हूँ...


कुछ अज़ीब सा है सफ़र अपना
ना गाता हूँ ना मैं गुनगुनाता हूँ,
बस हंसता हूँ और उसके इंतज़ार में हूँ...

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