QUOTES ON #मंज़र

#मंज़र quotes

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6 SEP 2020 AT 21:43

तुम्हारा यूं मुझे देखना बेहिसाब बेक़रारी जगाता है,
कुछ अनछुआ, कुछ अनकहा सा पल,
मेरे दिल को खामोशी से धड़कता हैं..!!

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23 JUN 2021 AT 8:54

कभी हसीन हैं,
तो कभी हसी छीन ले|

सच्चा हमसफ़र
बिना कहे हीं,
सारे गम गिन ले|

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28 OCT 2019 AT 13:07

चलो, मुलाकात की वजह बता ही देते है बेसबब,
कुछ अनकही बातें है जो खामोशी से कहना हैं!

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23 JUN 2021 AT 8:44

हर रोज़ अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है
डराता है मुझे
अपनी परछाई से
हर बार खुद से बड़ा नज़र आता है
ज़िन्दगी का मंज़र
अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है।
आभास कराता है मुझे
कि कितना मेरा है ये
कभी "खुद" से भी हंसकर मिलाता है
ज़िन्दगी का मंज़र
अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है।

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23 JUN 2021 AT 17:06

ज़िन्दगी का मंज़र

ना जाने क्यों ये बातें यूँ
रुख बदल जाती है
हर बार हथेली से क़िस्मत की
लकीरे फिसल जाती है
प्यास जितनी दरिया दूर उतनी
हलख सूख जाती है
आसमाँ और ज़मीं
गुलशाद कहा ढूँढू नमीं
ज़िन्दगी के मंज़र में
तपन बढ़ती जाती है
की ना जाने क्यों ये बातें यूँ
रुख बदल जाती है

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23 JUN 2021 AT 11:42

ये ज़िन्दगी का मंज़र है पीठ में कितने खंजर हैं,
कलियां सारी सूख गयीं ज़मीं भी देखो बंजर है اا

मुझमें कुछ अब शेष नहीं जीवन का अवशेष नहीं,
ढांचे में मुझको क़ैद न कर जो बस अस्थि-पंजर है اا

एक जगह टिकता भी नहीं चाह नहीं बिकता भी नहीं,
के चहूं दिशा विचरण भ्रमण ये मनवा मारा कंजर है اا

ये देह मेरे किस काम का स्मरण है बस प्रभु राम का,
मेरी आत्मा तू त्याग तन आसक्त क्षीण ये जंजर है اا

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6 SEP 2020 AT 20:51

चलो, सुलह की जगह सजा दे ही देते हैं बेअदब,
कुछ अनकही रातें हैं,जो किनाराकशी करना है!

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2 FEB 2019 AT 17:53

खुद के जरिए खुद के अंदर तक गया
लहरें देखा तो गहरे समंदर तक गया
क्या थी, कौन थी जो दिखी नहीं
बस महसूस हुई...
उसे महसूस करते करते, मौत के मंज़र तक गया।

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23 JUN 2021 AT 11:25


तड़प उठती है आंखे मेरी,कांप जाता है तन बदन,
कितना अद्भुत अप्रतिम जिंदगी का मंजर है।
लगी है होड़ इक दूजे को गिराने की,
टांग खींचकर अपनों की, हर कोई बनने में लगा सिकंदर है।

ना प्रेम ना विश्वास है,ना करुणा ना दया है,
अंधे है मोह में माया के, किसी पछतावे की ना हया है।
धूर्त चालाकी से भरा हुआ मानव, राष्ट्र की हालत जर्जर है,
सामने सब लगते है अपने ,पीछे से घोंपते अपने ही खंजर है।

खाना भरके फेंक रहा,कोई खाने को यहां तरस रहा,
कोई गुम है अपनी मस्ती में ,कोई नफरत की आग में झुलस रहा।
कहीं कहीं हरी भरी धरती खुशियों से , कहीं दुःख में वसुधा बंजर है।
कितना अचंभित है हाल यहां का ,क्या अजब जिंदगी का मंजर है।🙏

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23 JUN 2021 AT 10:10

छोटी सी उम्र में जिंदगी का हर मंजर देखा है
कभी दर्द भरी खुद की आखों को लोगो से छुपाया है
कभी रोते हुए लोगों को हसाया है
कभी किसी ने झूठी मुस्कुराहटो में फसाया मुझे
कभी पीठ पे खंजर मारा
जिंदगी ने हर तरह से मजे लिए
कभी खुशी दी कभी रुलाया मुझे
इस तरह जिंदगी के हर मंजर को जिया मैंने


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