हसरते हजार
ख्वाब लाखों से है
दिल टुटी
रुह कांपे से है
होसले इतने थे की
चांद तारे तोर लाते
आज खुद को समेटते
बिखर से गए हैं
पता नहीं, ये कैसे हुअा
शायद कुछ कमी थी
मेरी दुवाओ मे
मेरी सजदे मे
आज जिने के
बहाने ढुंनढते
सोच रहे कहा से
पाए खुद को
कहा से जोरे
मंजिलो के रास्ते
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