हमे आती नही क्या करें इंकार की भाषा
समझनी चाहिये लोगो तुम्हें प्यार की भाषा
गुमसुम सा बने रहना तीर सा चुभे मुझे
हमे तो चाहिये निश्चल हृदय के प्यार की भाषा
तने कब तक रहोगे एक दिन टुट जाओगे
साथ दूर तक होगा,गर हो प्यार की भाषा
ये जहां खुबसूरत है बनेगा प्यार और भी बेहतर
अगर बस प्यार हो जाये मेरे संसार की भाषा
हो जिसमे इक भुलावा और चालाकी नजर आये
फिर भला अच्छी लगे कैसे हमे उनकी भाषा.
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