QUOTES ON #भावनाएं

#भावनाएं quotes

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"प्रेम" महज़ ये शब्द नहीं है
बहुत गहरी भावनायें जुडी़ होती है इनसे
प्रेम में होना, प्रेम को समझ पाना, और
प्रेम को व्यक्त कर पाना एक अलग ही
अनुभूती ‌होती हैं ........


( शेष अनुशीर्षक में)
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27 JUL 2020 AT 19:33

सच है,
भावनाएं मनुष्य को एक दूसरे से जोड़े रखती है,
पर ग़लत भावनाएं??
स्वयं विचार कीजिये!
और अपने भीतर कौन-सी भावनाओं को धारण करना है?
उसके लिए आप स्वतन्त्र है,
और जैसी भावनाएं आप धारण करेंगे,
वे वैसे आपके चरित्र का निर्माण करेंगी।
जैसे आपके विचार होंगे, वैसे आपके व्यवहार।

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10 AUG 2021 AT 9:18

भावों को स्वीकृति नहीं बाधा बनने की
तुम परिचित नहीं अभी मेरी आदतो से ...

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24 AUG 2021 AT 9:21

दिल में जब मचलती हुई भावनाओं की
बहती एक सरिता,,
तो धड़कनों की ताल पर लहरा के
उपजती एक कविता ।।
शब्द जैसे मोती बन कागज पर
बिखर जाते हैं ,,
एक दूजे का साथ पाकर सुंदर रुप में
ढल जाती है कविता ।।
ये अक्षरों के ताने-बाने कुछ इस तरह
आपस में जुड़ जाते हैं,,
मन को आह्लादित कर नित नव सृजन
दे जाती है कविता ।।
प्रकृति के कण-कण में मानो जैसे
रची-बसी रहती है,,
अवसर पाते ही सिर उठाकर
उभर आती है कविता ।।
.......... निशि..🍁🍁
कैप्शन भी जरूर पढ़ें 🙏



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15 MAR 2021 AT 9:16

छोटे-बड़े सभी तरह के शब्दों से
रोज गुल्लक भरती रहती हूॅं,
हाॅं, कुछ विशिष्ट भारी-भरकम
हजार,पाॅंच सौ के नोटों की तरह
शब्द भी यदा-कदा डाल देती हूॅं।
लोगों की भावनाओं को पढ़कर
हर रोज कुछ ना कुछ
कमा ही लेती हूॅं,
कभी-कभी रोजमर्रा के
खर्च हुए शब्दों में से कुछ
शब्दों को संजो लेती हूॅं,
और भविष्य के लिए
गुल्लक में जमा कर देती हूॅं।
शेष कैप्शन में पढ़ें 🙏🙏
....... निशि..🍁🍁




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21 JUN 2020 AT 15:53

बेटी

प्रेरणा बन जाओ तुम,,,,







कृपया अनुशीर्षक में पढे़💐🙏

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3 JUN 2020 AT 8:44

""" संवेदनाएं """

मानव मन में निहित संवेदनाएं ,
कभी सूक्ष्म रूप में तो
कभी बहते हुए लावा की तरह ,,,
कुछ भी अनायास घटित होने पर
एकदम से प्रकट होने का भाव लिए
पिघल जाती हैं नेत्रों में मोम की तरह ,,,
उपस्थित हो जाती हैं तुरंत ही
किसी के दर्द की मुखर या मौन
वात्सल्यमयी सांत्वना बनकर ,,,
कराह उठती हैं किसी की हल्की सी आह पर ,
हाँ, शायद कुछ चुभा हो अपने स्वयं के अंदर ,,,
कुछ टूटा हो मन के अंदर
दुख के कठोर वज्र से टकराकर ,,,
राहत सी मिल जाती है मन को ,
जब ये संवेदनाएं अपने महीन,कोमल
आँचल में ढाँप लेती है पीड़ा को ,,,
और बचाने की हर संभव
कोशिशों में लग जाती हैं
दर्द के उस भयावह संताप से ,
जो अनायास ही घटित हो मानव जीवन को
विचलित करने की क्षमता रखता हो ,,,
तब टूटकर बिखर जाने से
बचा लेती हैं व्यथित मन को
जब ये सहलाती हैं अंतर्मन को ,
कभी मुखर होकर कोमल शब्दों से
तो कभी मौन होकर आँखों के भीगेपन से,,,
हाँ ये गहरी सी संवेदनाएं
मानव- मन की कोमल भावनाएं |......निशि 🍁🍁

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22 AUG 2020 AT 20:02

मेरी भावनाएं उड़ती हैं
पर हैं उसके
अचल हिमगिरि से होकर
गहन अबूझ सागर की तह तक
पद् चिह्न भी छोड़ जाती हैं
भावना मेरी....

पता है कैसे??

नज़्म बन कागज़ पर...

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2 APR 2021 AT 23:40

कभी-कभी कविताओं का अधूरापन ही उसकी पूरी कविता होती है...
उस कविता के सार को लिए,
जो छिपी होती है किसी अधूरी सी पंक्ति में,
उन टूटी-फूटी पंक्तियों में वह अर्थ संभवतः अपार लिए होती है,
मानो भावों को शब्दों का रूप दिए अलंकृत हो जैसे...।
और वह कवि जो छोड़ देता है उन अधूरी कविताओं को,
जिसमें वो खुद को विमुख पर पूर्ण पाता हो,
रातों को किसी कोने में दबी उनकी उन कल्पनाओं के भांति,
जिसे वह भूल जाता है कहीं उकेरना किसी कोरे पन्ने पर,
मानो अपने अधूरे हिस्से से प्रेरित हो जैसे...।

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6 MAY 2020 AT 10:05

मंद मंद मुस्कराती
बयार,,,,शीतल स्पर्श
स्मृतियों के पैरहन
पूरे तरबतर
एकाएक बारिश....
वो उमस,,,वो लम्हें,,,वो मंज़र
आँसू छलके,ढलके....और
बूँद में विलीन.....
नमक सागर में विश्रांत...
हो जाता...
मीठी सरिता में
संतृप्त हो जाती मेरी
हिय मरुभूमि बंज़र!!
आज फिर पुनः
अस्तित्व खोया......
भावनाओं ने!!

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