न झांको घर में उनके, न उनके मसले सुना करो
विवाद तुम्हारे घर में भी है, जरा समझा तुम करो
न सूरज सा तेज है उसमें, न अग्नि सी पावन है वो
उनकी मोहब्बत में तुम, जरा संभल के चला करो
नशा थोड़ा हो तो चोखा, नशे में झूमा नहीं जाता
इसलिए शराब को जरा, धीरे धीरे पिया करो
नए हो इस शहर में, रीति रिवाज से वाकिफ नहीं
यहाँ सब रामपुरी संग चलते है, जरा दूर से मिला करो
जख्म वर्षों पुराने है, मगर गहरे आज भी बहुत हैं
और दर्द अभी भी नया है, जरा होले होले सिला करो
क्यूँ गिले-शिकवे करते हो, तुम्हे कल का पता नहीं
जिंदगी क्षणिक है तुम्हरी, जरा मुस्कुराके चला करो
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