पथ संघर्ष के फिर चलेंगे हम तरक्की की,, नई गाथा लिखेंगे हम क्या हुआ आई जो बैरन आँधी रख हौंसला उठ फिर खड़े होंगे हम थम गया था जो वक्त का पहिया नई ऊर्जा से, फिर उसे घुमाएँगे हम उदय हुई उम्मीद की नई किरण अब तनिक भी,सुस्ती ना रखेंगे हम है भारत हमारा ये जान से प्यारा इसे,,,सोने की चिड़िया बनाएंगे हम
चरागदान कोई गर्द से...ढका पड़ा है... बहुत दिनों से उस बुढ़िया ने...कोई चराग नहीं जलाया... सुना है उसका बेटा... फ़ौज में था...👮 सरहद पर गया था...लौटकर नहीं आया...😢