आकुल नयन दरस को प्यासे, देखें पथ दिन रैन।
राम कौन दिवस आओगे, हिय को नहीं कुछ चैन।
भरत तुम्हारा चौदह बरस से बैठा संजोए आस।
राम भाई कब पूरा होगा अपना ये वनवास?
मैं जपता दिन रात राम बस एक तुम्हारा नाम।
इस दीन मलीन दुर्भागी को और नहीं कुछ काम।
स्वास स्वास टूटन को लगी, मुख सूखे जलहीन।
कुछ तो दया दिखाओ भाई, मैं दुर्बल, मैं हीन।
एक एक दिन बांट निहारूं, आओगे कब राम?
प्राण निकल जाएं उससे पहले घर लौट आओ राम।
माना मैं ना लखन सा भागी, ना ही मैं हनुमान।
पर उपकार करो कुछ मुझ पर, प्रेम दिखाओ राम।
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